भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर 30 जून को कतर की अधिकारिक यात्रा पर जा रहे हैं। इस दौरान एस जयशंकर कतर के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान बिन जासीम अल थानी से मुलाकात करेंगे। बता दें कि भारत और कतर के रिश्ते काफी अच्छे हैं। इससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने 14-15 फरवरी 2024 को कतर की यात्रा की थी। इस दौरान उन्होंने कतर के अमीर एचएच शेख तामीम बिन हमाद अल थानी से मुलाकात की थी। विदेश मंत्री की इस यात्रा में दोनों देशों को हितों को ध्यान में रखते हुए राजनीतिक, व्यापार, निवेश, उर्जा, सुरक्षा, संस्कृति समेत तमाम मुद्दों पर बात होगी। विदेश मंत्रालय द्वारा इसे लेकर अधिकारिक जानकारी साझा कर दी गई है।
भारतीय सैनिकों को रिहा कराना भारत की कूटनीतिक जीत
बता दें कि इससे पहले कतर में मौत की सजा पाने वाले पूर्व भारतीय नौसैनिकों को फरवरी महीने में ही रिहा कर दिया गया है। पूर्व नैसैनिकों की रिहाई को भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत मानी गई। कतर में मौत की सजा पाने वाले 8 भारतीयों को दोहा की कोर्ट ने रिहा कर दिया था। बता दें कि भारतीयों की रिहाई में विदेश मंत्रालय हो या भारत सरकार सभी की भूमिक अहम थी। पहले उन 8 भारतीय सैनिकों को मौत की सजा दी गई थी। हालांकि बाद में कूटनीतिक तरीके से मृ्त्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया गया। ये सभी सैनिक दोहा स्थित अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी के साथ काम करते थे, जिनपर जासूसी करने का आरोप लगा था।
8 सैनिकों पर लगा था जासूसी का आरोप
बता दें कि ये कंपनी सशस्त्र बलों और सुरक्षा एजेंसियों को प्रशिक्षण व अन्य सेवाएं प्रदान करती है। साल 2023 में इन भारतीय सैनिकों को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इसी मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उन्हें मौत की सजा सुना दी। इसके बाद से देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में इस खबर की चर्चा होने लगी। इसके बाद भारत सरकार अपने जवानों को बचाने के लिए एक्टिव मोड में आ गई। कई प्रयासों के बाद 8 भारतीयों की मौत की सजा को 25 साल तक की जेल की सजा में बदल दिया गया। हालांकि अंत में उन्हें दोहा की अदालत ने बाद में रिहा कर दिया और वे अपने घर यानी भारत लौट चुके हैं।