बहुत ज्यादा वक्त नहीं बीता जब पाकिस्तान अक्सर भारत को बर्बाद करने की कसमें खाता रहता था। पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी कभी मुंबई की सड़कों पर खून बहाते थे तो कभी वाराणसी और जयपुर जैसे शहरों को धमाकों से दहलाते थे। पिछले कुछ सालों में भारत के अंदरूनी शहरों में आतंकवाद की कोई बड़ी घटना सामने नहीं आई, और इसका श्रेय निश्चित तौर पर हमारी आंतरिक सुरक्षा में लगी एजेंसियों को जाता है। वहीं दूसरी तरफ, पिछले कुछ महीनों से पाकिस्तान में हो रहे आतंकी हमलों की संख्या बढ़ती जा रही है। आज पाकिस्तान का ‘हथियार’ खुद उसी का वजूद खत्म करने के लिए बेताब है।
पाकिस्तान के दिल में रह गई भारत को बर्बाद करने की हसरत
यह कोई छिपी हुई बात नहीं है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने आतंकी संगठनों को अपने पड़ोसियों, खासकर भारत को बर्बाद करने के लिए हर संभव मदद दी। भारत की धरती पर इन आतंकी संगठनों ने कुछ साल तो जमकर खून बहाया, लेकिन अब इनका वजूद धीरे-धीरे सिकुड़ता जा रहा है। कश्मीर में भी अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के खात्मे के बाद हालात तेजी से सुधरे हैं और अब वहां की आवाम मुख्यधारा में तेजी से आ रही है। पाकिस्तान अभी भी बौखलाहट में सीमावर्ती राज्य में छिटपुट हमले करवाने में कामयाब हो रहा है, लेकिन आतंकियों ने खुद उसे ही ज्यादा चोट देनी शुरू कर दी है।
पाकिस्तानी सैनिकों को लगातार शिकार बना रहे हैं आतंकवादी
पिछले कुछ दिनों में पाकिस्तान की सेना पर हुए हमलों में कई सैनिक और अफसर मारे गए हैं। कभी आतंकी खैबर पख्तूनख्वा में पाकिस्तानी सैनिकों को अपना शिकार बना रहे हैं, तो कभी बलूचिस्तान में उन्हें मौत के मुंह में धकेल रहे हैं। पाकिस्तान ने जिन आतंकवादियों को भारत की तबाही के लिए अपना हथियार बनाया था, आज वह अपने उसी हथियार के सामने बेबस हो गया है। पिछले कुछ घंटों में पाकिस्तान के दर्जनभर से ज्यादा सैनिक आतंकी हमलों में मारे जा चुके हैं। आतंकियों के साथ एनकाउंटर में एक मेजर की भी मौत हुई है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि पाकिस्तान में हालात अभी और खराब होंगे।
बलूचिस्तान से लेकर खैबर-पख्तूनख्वा तक मारे जा रहे सैनिक
खैबर पख्तूनख्वा में तहरीक-ए-तालिबान के आतंकियों के साथ कुछ ही घंटे पहले हुई मुठभेड़ में पाकिस्तान के कम से कम 4 सैनिक मारे गए। इसके पहले बलूचिस्तान में आंतकियों के साथ हुए एनकाउंटर में मुल्क ने अपने कम से कम 12 सैनिक गंवाए थे। वहीं, महीने की शुरुआत में अफगानिस्तान की सीमा से लगे एक अशांत उत्तर-पश्चिमी जनजातीय जिले में एक खुफिया अभियान के दौरान आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में पाकिस्तानी सेना के एक मेजर और एक सैनिक की मौत हो गई। तहरीक-ए-तालिबान और अन्य आतंकी संगठनों की तरफ से लगातार हो रहे हमलों से पूरा मुल्क सहमा हुआ है।
आखिर अपने ही आका को क्यों निशाना बनाने लगे आतंकवादी
अब सवाल यह उठता है कि आतंकवादी आखिर खुद के पालनकर्ता पाकिस्तान को ही क्यों निशाना बना रहे हैं? दरअसल, इस सवाल के कई जवाब हो सकते हैं। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को लगता है कि जिस तरह अफगान तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा जमाया, उसी तरह वह पाकिस्तान के कुछ इलाकों पर कब्जा कर सकता है। वहीं, पाकिस्तान की खराब हो रही माली हालत ने बलूचिस्तान के आतंकियों का हौसला बढ़ाया है। तीसरा कारण यह हो सकता है कि कंगाल हो रहा पाकिस्तान अब आतंकियों की उस तरह फंडिंग न कर पा रहा हो, जैसे वह पहले करता था।
बर्बाद हो रही अर्थव्यवस्था में भी है आतंकवादियों की भूमिका
पाकिस्तान की बर्बाद हो रही अर्थव्यवस्था में भी आतंकवादियों की अहम भूमिका है। दरअसल, हाल तक पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्ट में बना हुआ था और इसकी वजह आतंकियों को की जा रही फंडिंग ही थी। मुल्क में असुरक्षित माहौल होने की वजह से एक तो नया निवेश आ नहीं रहा था, वहीं दूसरी तरफ जो थोड़ी-बहुत विदेशी कंपनियां वहां मौजूद थीं, उन्होंने भी अपना बोरिया-बिस्तर समेट लिया। FATF की ग्रे लिस्ट में होने की वजह से पाकिस्तान को बहुत ज्यादा विदेशी मदद भी नहीं मिल पा रही थी, जिसकी वजह से उसकी हालत और पतली होती गई।
तालिबान ने भी पाकिस्तान की उम्मीदों पर फेर दिया पानी
पाकिस्तान ने आतंकवाद से लड़ने के नाम पर अमेरिका से खूब डॉलर लिए, और उन डॉलर्स का एक बड़ा हिस्सा वह आतंकवाद को प्रमोट करने में लगाता रहा। कहां तो उसे लगता था कि अफगानिस्तान की सत्ता पाने के बाद तालिबान उनकी मदद करेगा, और कहां अब उसे खुद अफगानिस्तान की सीमा पर अपनी जमीन बचाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। कुल मिलाकर पाकिस्तान का पाला गया ‘भस्मासुर’ अब उसे ही खाक करने के लिए आगे बढ़ रहा है। देखते हैं कंगाल हो चुका पाकिस्तान आने वाले दिनों में इस चुनौती से कैसे उबरता है, उबर भी पाता है या नहीं।