द हेगः भारत के बाद अब यूरोप में एक ऐसा चुनाव शुरू हुआ है, जिसमें 1 नहीं, बल्कि 27 देश हिस्सा लेते हैं। यह चुनाव यूरोपीय संघ का है। यह संसदीय चुनाव 4 दिनों तक चलता है और इसमें 27 सदस्य देश हिस्सा लेते हैं। चार दिन तक चलने वाली चुनाव प्रक्रिया नीदरलैंड में बृहस्पतिवार को मतदान के साथ शुरू हुई। नीदरलैंड यूरोपीय संघ (ईयू) का एकमात्र सदस्य देश है, जिसने अपना एक दिवसीय मतदान इतनी जल्दी शुरू किया है। इसके बाद शुक्रवार को आयरलैंड और सप्ताहांत में यूरोपीय संघ के बाकी देश मतदान में हिस्सा लेंगे। हालांकि, एस्टोनिया में सोमवार से लेकर 6 दिन तक मतदान हो सकता है।
सभी सदस्य देशों द्वारा मतदान पूरा करने के बाद रविवार रात को पूरे यूरोप के परिणाम घोषित किए जाएंगे। नीदरलैंड में छह महीने पहले ही गीर्ट वाइल्डर्स की दक्षिणपंथी ‘पार्टी फॉर फ्रीडम’ ने राष्ट्रीय संसद में सबसे बड़ी पार्टी बनकर पूरे यूरोप में हलचल पैदा कर दी। मतदान से संकेत मिलता है कि वाइल्डर्स उसी लोकप्रियता का लाभ उठा सकते हैं और ईयू के अधिकांश क्षेत्र के लिए उनका महत्व बढ़ जाएगा। पांच साल पहले हुए यूरोपीय संघ के पिछले चुनावों के बाद से तीन ईयू देशों में लोक लुभावन, धुर दक्षिणपंथी और चरमपंथी दल सरकारों का नेतृत्व कर रहे हैं, वहीं कई अन्य सरकारों में ये गठबंधन में शामिल हैं। माना जा रहा है कि पूरे महाद्वीप में इन्हें मिलने वाला जन समर्थन बढ़ रहा है।
भारत के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चुनाव
यूरोपीय संघ के चुनाव भारत के चुनाव के बाद लोकतांत्रिक दृष्टि से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कवायद हैं, और इसमें बहुत कुछ दांव पर लगा है। इसमें लगभग 40 करोड़ मतदाता आर्कटिक सर्कल से परे अफ्रीका और एशिया की सीमाओं से लगे क्षेत्रों तक यूरोपीय संसद के 720 सदस्यों का चुनाव करेंगे। उनका वैश्विक जलवायु नीतियों और रक्षा से लेकर विस्थापन और चीन तथा अमेरिका के साथ भू-राजनीतिक संबंधों तक विभिन्न मुद्दों पर प्रभाव पड़ेगा। वर्ष 2019 में पिछले यूरोपीय चुनावों के बाद से, यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद क्षेत्र के मुहाने पर युद्ध छिड़ गया है। यूक्रेन यूरोपीय संघ में शामिल होने के लिए बेताब है।
2019 में इन्हें मिली थी जीत
संस्थापक सदस्य, नीदरलैंड लंबे समय से यूरोपीय संघ की नीतियों के समर्थन में अडिग रहा है। हालांकि, एक थिंक टैंक के शोध से पता चलता है कि डच (नीदरलैंड के) लोगों में यूरोपीय संघ के प्रति असंतोष है। इसमें कहा गया है कि अधिकतर का मानना है कि नीदरलैंड को ईयू में रहना चाहिए, वहीं कई लोग यह भी मानते हैं कि इसे और अधिक आत्मनिर्भर होना चाहिए। चुनाव के बाद, यूरोपीय संसद के सदस्य (एमईपी) 16-19 जुलाई तक पहले पूर्ण सत्र में अपने अध्यक्ष का चुनाव करेंगे। फिर, संभवतः सितंबर में, वे सदस्य राष्ट्रों द्वारा रखे गए प्रस्ताव के बाद यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष को नामित करेंगे। 2019 में, वॉन डेर लेयेन , बहुत कम अंतर से जीतकर संस्था का नेतृत्व करने वाली पहली महिला बनी थीं। (एपी)