Indonesia Earthquake: इंडोनेशिया में शक्तिशाली भूकंप आया है। हाल के समय में लगातार आ रहे भूकंपों के बीच यह भूकंप रविवार तड़के आया। जानकारी के अनुसार 1 घंटे में दो बार भूकंप से धरती कांपी है। यूरोपियन मेडिटेरेनियन सीस्मोलॉजिकल सेंटर ‘यूएमएससी‘ के मुताबिक, इंडोनेशिया में रविवार सुबह लगातार दो बार भूकंप के झटके लगे हैं। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.1 और 5.8 मापी गई है। यूएमएससी ने बताया कि रविवार तड़के केपुलुआन बाटू में दो बार भूकंप से धरती कांपी है। रविवार को भूकंप का पहला झटका महसूस किया गया। इसकी तीव्रता 6.1 रही। इसके कुछ ही घंटे बाद 5.8 तीव्रता वाला एक और भूकंप का झटका महसूस किया गया। ईएमएससी के अनुसार पहले भूकंप का 43 किलोमीटर की गहराई पर उद्गम केंद्र था। वहीं दूसरा भूकंप 40 किलोमीटर की गहराई में आया। भूकंप से अभी तक किसी भी जानमाल के नुकसान की खबर नहीं मिली है।
चार दिन पहले भी इंडोनेशिया में आया था भूकंप
इससे पहले बीते बुधवार को भी इंडोनेशिया में भूकंप का झटका लगा था। सबांग के 16 किमी पश्चिम दक्षिण पश्चिम में भूकंप आया था। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.4 आंकी गई थी। यूएसजीएस ने बताया कि भूकंप रात करीब 11 बजे आया था। फिर इंडोनेशिया के करीब मोलुक्का सागर में शुक्रवार को भी शक्तिशाली भूकंप के झटके महसूस किए गए। जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज के अनुसार, रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.0 दर्ज की गई थी। यह भूकंप भारतीय समयानुसार दोपहर 3.51 बजे आया था। इससे पिछले शुक्रवार को भी इंडोनेशिया के जावा द्वीप के उत्तर में समुद्र में शक्तिशाली भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। तब भूकंप की तीव्रता 7.0 दर्ज की गई थी। हालांकि किसी तरह के नुकसान की खबर नहीं थी।
क्यों आते हैं भूकंप
यह धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है, जिन्हें इनर कोर, आउटर कोर, मैन्टल और क्रस्ट कहा जाता है। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहा जता है। ये 50 किलोमीटर की मोटी परतें होती हैं, जिन्हें टैक्टोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये टैक्टोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं, घूमती रहती हैं, खिसकती रहती हैं। ये प्लेट्स अमूमन हर साल करीब 4-5 मिमी तक अपने स्थान से खिसक जाती हैं। ये क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर, दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं। इस क्रम में कभी कोई प्लेट दूसरी प्लेट के निकट जाती है तो कोई दूर हो जाती है। इस दौरान कभी-कभी ये प्लेट्स एक-दूसरे से टकरा जाती हैं। ऐसे में ही भूकंप आता है और धरती हिल जाती है। ये प्लेटें सतह से करीब 30-50 किमी तक नीचे हैं।