Space station and Muslim Astronaut: दुनियाभर के कई देश अंतरिक्ष तक पहुंचने की कवायदों में जुटे हुए हैं। भारत तो अपना चंद्रमा तक अपना यान पहुंचा चुका है। वहीं अमेरिका, चीन जैसे कई देश अंतरिक्ष में अपने एस्ट्रोनॉट भेज रहे हैं। इन कोशिशों में गल्फ कंट्रीज भी पीछे नहीं हैं। इन खाड़ी देशों में सबसे अधिक मुस्लिम आबादी निवास करती है। यूएई यानी संयुक्त अरब अमीरात खाड़ी देशों में सबसे आगे है, जिसने अंतरिक्ष की सैर कर ली है। गत वर्ष यूएई के सुल्तान अल नेयादी अंतरिक्ष की सैर पर गए थे और उन्होंने रमजान का पूरा महीना इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर व्यतीत किया था। इस दौरान न तो वे नमाज पढ़ सके और न ही रोजा रख पाए। तब यूएई में में एस्ट्रोनॉट्स के लिए रोजे रखने और नमाज के लिए छूट की मांग उठी है, जिससे कि उनके वापस आने तक धार्मिक गतिविधियों में उन्हें छूट मिल सके।
अबू धाबी में मोहम्मद बिन जायद यूनिवर्सिटी फॉर ह्यूमैनिटीज में प्रोफेसर मरियम अल हत्ताली ने यूएई काउंसिल फॉर फतवा के दूसरे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में इस्लामी विशेषज्ञों को संबोधित किया। उन्होंने लंबे अंतरिक्ष मिशनों पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के लिए नमाज पढ़ने की रियायतों की वकालत की। उन्होंने अंतरिक्ष में नहाने की व्यवस्था पर भी जोर दिया और कहा कि वैज्ञानिक मानवता के लिए काम करते हैं और एक्सपर्ट को उनके धार्मिक नियमों के बारे में विचार करनी चाहिए।
अंतरिक्ष में सुल्तान ने क्यों नहीं रखा रोजा?
प्रोफेसर मरियम ने बताया कि व्यवस्था ना होने की वजह से अमीराती अंतरिक्ष यात्री अल नेयादी ने आईएसएस पर 6 महीने बिताए लेकिन अंतरिक्ष में ही रमजान का महीना बिताया। अपनी यात्रा से पहले अल नेयादी ने भी इस बात को लेकर चिंता जताई थी कि उनकी यात्रा के दौरान रमजान और ईद भी पड़ने वाली है, लेकिन वह पर्व नहीं मना सकेंगे। उन्होंने यह स्वीकार किया था कि उपवास करने से स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है और ऐसा होने से मिशन प्रभावित हो सकता है।
मलेशियाई अंतरिक्ष यात्री को भी हुई मुश्किल
मलेशियाई अंतरिक्ष यात्री शेख मुजफ्फर शुकोर को भी 2007 में अपने अंतरिक्ष मिशन के दौरान रमजान में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। बाद में उनके लिए एक फतवा जारी किया गया, जिसमें उनके धरती पर वापस लौटने तक रोजा नहीं रखने की बात स्पष्ट की गई। आने वाले दिनों में यूएई और भी कई मिशनों की प्लानिंग में लगा है। इससे और भी कई अमीराती अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष यात्रा पर जाएंगे, लेकिन इस दरमियान रोजा-नमाज करना मुश्किल है। ऐसे में इन देशों में वैज्ञानिकों के लिए फतवा की व्यवस्था किए जाने की मांग उठ रही है ताकि वे अपनी यात्रा के बाद अपना रोजा और धार्मिक मान्यताओं को पूरा कर सकें।