Friday, November 22, 2024
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दोनों पैर न होने के बावजूद दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह कर रच दिया इतिहास, जान कर रह जाएंगे हैरान

"मंजिलें उन्हें मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से नहीं उड़ते...हौसलों से उड़ान होती है"...इन पंक्तियो को चरितार्थ कर दिखाया है एक पूर्व फौजी ने। इस फौजी के साहस की कहानी सुनकर आप हैरान रह जाएंगे।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: May 21, 2023 7:44 IST
माउंट एवरेस्ट पर्वत शिखर- India TV Hindi
Image Source : FILE माउंट एवरेस्ट पर्वत शिखर

"मंजिलें उन्हें मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से नहीं उड़ते...हौसलों से उड़ान होती है"...इन पंक्तियो को चरितार्थ कर दिखाया है एक पूर्व फौजी ने। इस फौजी के साहस की कहानी सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। दोनों पैर नहीं होने के बावजूद इस पूर्व फौजी ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह करके बड़ा इतिहास रच दिया है। क्या आप कल्पना भी कर सकते हैं कि बिना पैरों के भी कोई माउंट एवरेस्ट के हाई पीक तक पहुंच सकता है...शायद नहीं, लेकिन नेपाल के इस पूर्व फौजी ने जो अद्भुद और अदम्य साहस दिखाया है, उसको पूरी दुनिया सलाम कर रही है। आइए अब आपको इस गोरखा सैनिक की बहादुरी की दास्तान बताते हैं।

नेपाल का यह फौजी ब्रिटेन की तरफ से अफगानिस्तान में 2010 में जंग लड़ने गया था। इसी दौरान वह अपने दोनों पैर गंवा बैठा। अब इसी पूर्व ब्रिटिश गोरखा सैनिक ने बिना दोनों पैरों के ही माउंट एवरेस्ट फतह कर इतिहास रच दिया है। कृत्रिम पैरों से दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी पर पहुंचने वाला यह फौजी विश्व का पहला व्यक्ति बन गया है।

43 वर्षीय पूर्व फौजी ने फतह किया दुनिया की सबसे ऊंची चोटी

43 वर्षीय पूर्व फौजी हरि बुधमागर ने शुक्रवार दोपहर 8848.86 मीटर ऊंची पर्वत चोटी फतह करके दुनिया को चौंका दिया। पर्यटन विभाग के एक अधिकारी ने कहा, "दोनों पैरों से अशक्त पूर्व सैनिक हरि बुधमागर ने शुक्रवार को माउंट एवरेस्ट फतह कर नया इतिहास रच दिया।” वह इस श्रेणी में विश्व की सबसे ऊंची पर्वत चोटी फतह करने वाले पहले व्यक्ति हैं। बुधमागर ने 2010 में अफगानिस्तान युद्ध में ब्रिटिश गोरखा के एक सैनिक के रूप में ब्रिटेन सरकार के लिए लड़ते हुए अपने दोनों पैर गंवा दिए थे। इसके बाद उन्हें कृत्रिम पैर लगाया गया था। बुधमागर ने अपने सपने को पूरा करने के लिए पैर नहीं होने को बहाना नहीं बनने दिया, बल्कि अपने हौसलों के दम पर कृत्रिम पैर से ही माउंट एवरेस्ट को फतह करने की जिद ठान ली और उसे कर दिखाया।

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