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फ्लोर टेस्ट से पहले हो गया खेला! जानें किसने कहा 'भारत के साथ संबंध रखे बिना प्रगति नहीं कर सकता नेपाल'

नेपाल में सीपीएन-यूएमएल पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि हम भारत को एक अहम पड़ोसी मानते हैं। उन्होंने कहा कि हम अपनी धरती से भारत के खिलाफ किसी भी गतिविधि की अनुमति नहीं देंगे।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Published on: July 11, 2024 21:33 IST
KP Sharma Oli- India TV Hindi
Image Source : REUTERS KP Sharma Oli

काठमांडू: नेपाल की सीपीएन-यूएमएल पार्टी ने बृहस्पतिवार को कहा कि चारों तरफ से जमीन से घिरा हिमालयी राष्ट्र भारत के साथ घनिष्ठ मित्रतापूर्ण संबंध कायम रखकर ही आर्थिक समृद्धि प्राप्त कर सकता है। सीपीएन-यूएमएल पार्टी ने कहा कि नेपाली धरती से भारत के खिलाफ किसी भी गतिविधि को अनुमति नहीं दी जाएगी। पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली पार्टी के एक वरिष्ठ नेता की यह टिप्पणी संसद में विश्वासमत की पूर्व संध्या पर आई है। ऐसा माना जा रहा है कि विश्वासमत के बाद ओली राजनीतिक रूप से अस्थिर देश के एक बार फिर प्रधानमंत्री बन सकते हैं। 

नई ऊंचाई पर ले जाना चाहते हैं नेपाल-भारत संबंध

विदेश मामलों के विभाग प्रमुख और सीपीएन-यूएमएल की स्थायी समिति के सदस्य डॉ राजन भट्टाराई ने एक साक्षात्कार में ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘सीपीएन-यूएमएल यह नहीं मानती कि भारत विरोधी नीति अपनाकर नेपाल प्रगति कर सकता है या नेपाली लोगों के हितों को बढ़ावा दिया जा सकता है।’’ उन्होंने कहा कि पार्टी के अध्यक्ष ओली 21वीं सदी की आवश्यकता के अनुरूप नेपाल-भारत संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाना चाहते हैं। 

बातचीत करके निकाल सकते हैं समाधान

भट्टाराई ने कहा, ‘‘हमारा मानना ​​है कि हम भारत के साथ घनिष्ठ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखकर ही अधिक विदेशी निवेश आकर्षित कर सकते हैं, व्यापार को बढ़ावा दे सकते हैं और आर्थिक समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत को एक महत्वपूर्ण पड़ोसी मानते हैं और हम अपनी धरती से भारत के खिलाफ किसी भी गतिविधि की अनुमति नहीं देंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक पड़ोसी का पक्ष लेकर दूसरे पड़ोसी के खिलाफ किसी भी गतिविधि की अनुमति नहीं देने का हमारी पार्टी का स्पष्ट दृष्टिकोण है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम मिल-बैठकर और मैत्रीपूर्ण तरीके से बातचीत करके अपनी सभी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।’’ 

यह देखना होगा दिलचस्प

वर्ष 2020 में काठमांडू द्वारा एक नया राजनीतिक मानचित्र प्रकाशित किए जाने के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव आ गया था। इस नक्शे में तीन भारतीय क्षेत्रों- लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को नेपाल के हिस्से के रूप में दिखाया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री ओली ने बढ़ते घरेलू दबाव को रोकने और अपने नेतृत्व को चुनौती से बचाने के लिए इस मुद्दे का उपयोग करने का प्रयास किया था। ओली अपने चीन समर्थक रुख के लिए जाने जाते हैं और यह देखना दिलचस्प होगा कि शुक्रवार को सदन में शक्ति परीक्षण के बाद प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘‘प्रचंड’’ को अपदस्थ करने के बाद यदि वह प्रधानमंत्री बनते हैं तो दोनों पड़ोसियों के साथ किस तरह समान संबंध बनाए रखते हैं।  (भाषा)

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