XI jinping : चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग जी20 समिट में भारत नहीं आ रहे हैं। उनकी जगह चीनी प्रधानमंत्री हिस्सा लेंगे। जी20 समिट 9 और 10 सितंबर को राजधानी नई दिल्ली में आयोजित हो रही है। 2008 से यह पहली बार होगा जब कोई चीनी राष्ट्रपति जी20 की समिट में भाग न ले रहा हो। खुद शी जिनपिंग साल 2012 से जब से उन्होंने चीन के राष्ट्रपति पद की कमान संभाली, तब से हर जी20 समिट में हिस्सा ले रहे हैं। लेकिन भारत आने से किनारा कर लिया। जानिए जिनपिंग के भारत न आने की वजहें क्या हैं?
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बजाय चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग भारत में जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यह समिट 9 और 10 सितंबर को राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित हो रही है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन व्यक्तिगत कारणों की वजह से भारत नहीं आ पा रहे हैं, लेकिन चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग के भारत न आने की वजहें अलग हैं। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के राजनीतिक वैज्ञानिक वेन-टी सुंग ने बताया कि शी पिछले महीने दक्षिण अफ्रीका में प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं के समूह 'ब्रिक्स समिट' की बैठक में शामिल हुए थे। लेकिन ब्रिक्स के बाद जी20 जैसे बड़े संगठन से मुंह छिपाकर नदारद रहना किसी के गले नहीं उतर रहा है। सुंग ने कहा कि 'चीनी राष्ट्रपति का भारत न आना रूस के राष्ट्रपति पुतिन के साथ एकजुटता भी दिखा सकता है। क्योंकि वे भी भारत नहीं आ रहे हैं।
अपने ही घर में घिरे होने की वजह से भारत नहीं आ रहे जिनपिंग?
दूसरी ओर, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर में ली कुआन यू स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के एसोसिएट प्रोफेसर अल्फ्रेड वू का मानना है कि घरेलू मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित करने के कारण शी जिनपिंग विदेश यात्रा करने में अनिच्छुक हो सकते हैं।
वू ने रॉयटर्स को बताया, 'शी जिनपिंग अपना खुद का एजेंडा तय कर रहे हैं, जहां उनकी सर्वोच्च चिंता राष्ट्रीय सुरक्षा है। इस समय उनके लिए जरूरी है कि वे बाहर जाकर दूसरे नेताओं से मिलने की बजाय चीन में ही रहें।'
भारत की तरक्की से चिढ़ गया चीन
कुछ विश्लेषकों ने यह भी कहा कि जी20 समिट से शी जिनपिंग की अनुपस्थिति को मेजबान भारत की उपेक्षा के रूप में भी देखा जा सकता है। क्योंकि चीन भारत की तरक्की से जलता है।भारत की इकोनॉमी तेजी से बढ़ रही है। भारत की धाक दुनिया में बढ़ रही है। चंद्रयान 3 की सफलता के बाद भारत का कद जिस तरह से बढ़ा है, जिस तरह से पीएम मोदी के नेतृत्व में वर्ल्ड में भारत की पूछपरख बढ़ी है, यह चीन को नागवार लगता है। इस वजह से भी जिनपिंग ने मुंह छिपाते हुए भारत आने से किनारा कर लिया। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जबकि चीन की धीमी गति से,यह बात भी चीन जानता है। जून 2020 में गलवान संघर्ष के बाद से ही चीन और भारत के संबंध सामान्य नहीं हैं।
बाइडेन ने भी जिनपिंग के न आने पर जताई हैरानी
कितनी हैरानी की बात है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत नहीं आ रहे हैं, इसे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की प्रतिक्रिया से भी समझा जा सकता है, जिन्हें उनसे मुलाकात की उम्मीद थी। बाइडेन ने चीनी राष्ट्रपति के भारत न आने पर निराशा जताई है। साथ ही कहा कि उन्हें जी20 समिट में आना चाहिए। जिनपिंग के भारत न आने का एक एंगल यह भी है कि भारत ने अरूणाचल प्रदेश में जी20 समिट का प्रोग्राम रखा। निर्विवाद रूप से अरूणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है, लेकिन चीन अपनी कुत्सित मानसिकता के तहत विवादित मैप के माध्यम से अरूणाचल प्रदेश पर विवाद पैदा करना चाहता है। जी20 समिट का प्रोग्राम अरूणाचल प्रदेश में भी रखने पर चीन ने ऐतराज जताया था।