Xi jinping in SCO Summit: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एससीओ समिट में अपनी बात रखी। इस दौरान उन्होंने क्षेत्रीय सहयोग की बात तो की, लेकिन इस मंच से अमेरिका की जोरदार आलोचना भी कर डाली। उन्होंने अमेरिका के लिए कहा कि अमेरिका की 'ताकत की राजनीति' का विरोध करना चाहिए। उन्होंने अमेरिका पर 'आधिपत्यवाद' का आरोप भी लगाया। अपने संबोधन के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी ने एससीओ देशों से क्षेत्रीय शांति, साझी सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मंगलवार को एससीओ समिट को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। भारत की अध्यक्षता में डिजिटल माध्यम से आयोजित इस समिट में रूस, चीन, पाकिस्तान के अलावा कजाकिस्तान, किर्गिजिस्तान, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और ईरान के नेताओं ने भी हिस्सा लिया। जिनपिंग ने मंगलवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों से आर्थिक सुधार को गति प्रदान करने के लिए व्यावहारिक सहयोग की वकालत की।
अमेरिका का किया विरोध, लगाया ये आरोप
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई शंघाई सहयोग संगठन के शासनाध्यक्षों की परिषद की 23वीं बैठक को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए शी जिनपिंग ने बहुपक्षीयता को बरकरार रखने और वैश्विक प्रशासन को बेहतर बनाने के लिए कोशिश करने के महत्व को बताया। उन्होंने वैश्विक प्रशासन प्रणाली को स्वच्छ तथा अधिक आसान बनाने की वकालत की। अपने संबोधन के दौरान शी जिनपिंग ने अमेरिका की आलोचना की। अमेरिका की आलोचना करते हुए जिनपिंग ने अमेरिका पर आधिपत्यवाद एवं ताकत की राजनीति करने का आरोप लगाया और इसका विरोध करने की अपील की।
शी जिनपिंग ने 'बीआरआई' पर कही ये बात
शी ने एससीओ सदस्य देशों से देशों को जोड़ने एवं संपर्क बढ़ाने के लिए अरबों डॉलर की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) परियोजना के तहत विभिन्न देशों की विकास रणनीति एवं क्षेत्रीय सहयोग पहल के जरिए अच्छे सहयोग की अपील की। सरकारी शिंहुआ समाचार एजेंसी के अनुसार, राष्ट्रपति शी ने 2013 में सत्ता में आने के बाद बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) की शुरुआत की थी। इसका मकसद भूमि और समुद्र मार्ग के माध्यम से दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को जोड़ना है। बीआरआई के तहत ही 60 अरब डालर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे की शुरूआत की गई है। भारत ने इस पर गंभीर आपत्ति दर्ज की है क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है।