ताइपे: चीन उन देशों में शामिल है जिन्होंने सबसे पहले कोविड की वैक्सीन बनाने का दावा किया था। उसने अपनी वैक्सीन की मार्केटिंग भी काफी आक्रामक तरीके से की, जिसके बाद दुनिया के कई देशों ने उससे टीके खरीदे थे। हालांकि अब जबकि चीन खुद कोरोना से बुरी तरह जूझ रहा है, उसकी स्वदेशी कोविड वैक्सीन की पोल खुल गई है। जिन देशों ने चीन से वैक्सीन ली थी, वे भी अब अपने फैसले पर पछता रहे हैं। चीन की कोविड वैक्सीन पर अब खुद चीनियो को भरोसा नहीं रह गया है, और वे mRNA टीकों की बूस्टर डोज लगवाने के लिए मकाऊ और हांगकांग का रुख कर रहे हैं।
चीन में कोरोना ने मचाया कोहराम
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने जैसे ही अपनी ‘जीरो कोविड पॉलिसी’ में ढील दी, कोरोना ने कहर मचा दिया। चीन में क्वारंटीन से लेकर आइसोलेशन तक के नियम हटा दिए गए, और नतीजे में शहर के शहर संक्रमित होते चले गए। ‘जीरो कोविड पॉलिसी’ के चलते देश की एक बड़ी आबादी वायरस के प्रति एक्सपोज नहीं हो पाई थी, जिसकी वजह से हर्ड इम्यूनिटी विकसित नहीं हो पाई थी, और अब वे आसानी से कोविड की चपेट में आ रहे हैं। चीन की स्वदेशी वैक्सीन बेअसर साबित हो रही है, और यह बात अब चीन के नागरिकों को भी समझ में आ रही है।
चीन में नहीं लग रहे विदेशी टीके
चीन ने विदेशी टीकों को अपने यहां मंजूरी देने से इनकार कर दिया है, जिसके बाद उसके नागरिक वैक्सीन लगवाने के लिए हांगकांग और मकाऊ का रुख कर रहे हैं। यही वजह है कि इन दोनों ही जगहों पर विदेशी टीकों की मांग में जबरदस्त इजाफा हुआ है। यहां तक कि चीनी टीकों के लिए थाईलैंड और सिंगापुर में भी इंटेरेस्ट दिखा रहे हैं। बता दें कि बायोएनटेक/फाइजर mRNA वैक्सीन हांगकांग और मकाऊ के निवासियों के लिए फ्री हैं, लेकिन चीनियों को इस वैक्सीन के लिए भुगतान करना पड़ रहा है, और वे खुशी-खुशी ऐसा कर भी रहे हैं।
भारत की वैक्सीन में कितना है दम?
चीन समेत दुनिया के कई देशों ने भारत की वैक्सीन क्षमता को लेकर संदेह जताया था, लेकिन अभी तक के आंकड़ों को देखकर लगता है कि भारत के टीकों ने कोरोना के खिलाफ प्रभावी इम्यूनिटी दी है। आज जहां चीन और यूरोप के कई देश कोरोना के बढ़ते मामलों से परेशान हैं, भारत में हालात काबू में हैं। वहीं, भारत ने करीब 150 देशों को अपनी कोविड वैक्सीन देकर उनकी मदद की है, जबकि चीन ने तमाम देशों को अपनी घटिया वैक्सीन मुंहमांगी कीमतों पर बेची थी।