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China US: अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों को लौटे एक साल पूरा, लेकिन CIA की नजर आतंकियों के साथ-साथ चीन पर भी, ये गड़बड़ी कर रहे हैं शी

अफगानिस्तान से सैन्य कार्रवाई समाप्त किए एक साल पूरा होने जा रहा है और अब भी राष्ट्रपति जो बाइडेन और शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी आतंकवाद के खिलाफ कम और चीन एवं रूस द्वारा उत्पन्न राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य खतरों से निपटने पर अधिक जोर दे रहे हैं।

Written By: Shilpa
Published : Aug 08, 2022 15:20 IST, Updated : Aug 08, 2022 15:25 IST
Afghanistan CIA China
Image Source : AP/PTI Afghanistan CIA China

Highlights

  • अफगानिस्तान में चीन पर सीआईए की नजर
  • आतंकियों के साथ-साथ चीन भी खतरा है
  • चीन के अलावा रूस पर भी नजर रखना जरूरी

China US: केंद्रीय खुफिया एजेंसी (सीआईए) के आतंकवाद रोधी केंद्र के सदस्यों की हाल ही में बंद कमरे में हुई बैठक में एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया कि अल-कायदा और अन्य कट्टरपंथी संगठनों से लड़ाई प्राथमिकता रहेगी, जबकि एजेंसी के कोष और संसाधनों को चीन से निपटने के लिए लगाया जाएगा। ड्रोन हमले में अल-कायदा के नेता को मौत के घाट उतारने के बाद भी सीआईए के आतंकवाद से निपटने पर विचार नहीं बदले हैं। एजेंसी के उप निदेशक डेविड कोहेन ने बैठक में कहा कि अमेरिका आतंकवादियों से निपटना जारी रखेगा, हालांकि उसकी प्राथमिकता चीन की रणनीति समझने और उसका मुकाबला करने की होगी।

अफगानिस्तान से सैन्य कार्रवाई समाप्त किए एक साल पूरा होने जा रहा है और अब भी राष्ट्रपति जो बाइडेन और शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी आतंकवाद के खिलाफ कम और चीन एवं रूस द्वारा उत्पन्न राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य खतरों से निपटने पर अधिक जोर दे रहे हैं। खुफिया एजेंसियों में कई अधिकारियों को चीन से निपटने के लिए विभिन्न पदों पर नियुक्त किया जा रहा है, जबकि इनमें से कुछ अधिकारी पहले आतंकवाद से निपटने के लिए काम कर रहे थे। पिछले सप्ताह का घटनाक्रम दिखाता है कि अमेरिका को एक ही समय में दोनों से निपटना होगा। गत सप्ताह अमेरिका ने अल-कायदा सरगना अयमान अल-जवाहिरी को काबुल में मार गिराया था, जबकि चीन ने अमेरिकी प्रतिनिधिसभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के विरोध में बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास किया है और अमेरिका से सभी संबंध खत्म करने की धमकी दी है।

अमेरिका चीन के कारण लंबे वक्त से चिंतित

चीन की बढ़ती राजनीतिक और आर्थिक महत्वाकांक्षाओं से अमेरिका लंबे समय से चिंतित है। चीन ने कथित तौर पर दूसरे देशों के चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश की है, साइबर और कॉर्पोरेट क्षेत्र में जासूसी अभियान चलाए और लाखों अल्पसंख्यक उइगरों को हिरासत में लिया है। कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि आने वाले वर्षों में चीन, ताइवान के स्व-शासित लोकतांत्रिक द्वीप पर बलपूर्वक कब्जा करने की कोशिश करेगा। खुफिया अधिकारियों ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी की उत्पत्ति का कारण नहीं बताने के बाद उन्हें चीन पर अधिक नजर रखने की जरूरत है। चीन पर आरोप है कि उसने वायरस की उत्पत्ति से संबंधित जानकारी छुपाई है।

रूस पर नजर रखना क्यों है इतना जरूरी?

वहीं यूक्रेन में युद्ध के बाद से रूस पर नजर रखना भी आवश्यक हो गया है। अमेरिका ने आक्रमण से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की युद्ध संबंधी योजनाओं का पर्दाफाश किया था और यूक्रेन की राजधानी कीव को राजनयिक समर्थन दिया था। इस बीच, अफगानिस्तान और इराक में सेवा देने वाले पूर्व आर्मी रेंजर जेसन क्रो ने कहा कि उनका मानना ​​है कि पिछले कई वर्षों में अमेरिका ने आतंकवाद का मुकाबला करने पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित किया है। क्रो ने कहा, ‘रूस और चीन कहीं अधिक बड़ा खतरा हैं। आतंकवादी संगठन उस तरह से अमेरिकी जीवन शैली को नष्ट नहीं कर सकते, जैसे कि चीन कर सकता है।’ 

सीआईए ने आतंकवाद को बताया बड़ी चुनौती

सीआईए के प्रवक्ता टैमी थोर्प ने कहा कि आतंकवाद ‘एक बड़ी वास्तविक चुनौती है।’ थोर्प ने कहा, ‘यहां तक ​​कि रूस के यूक्रेन पर आक्रमण करने और रिपब्लिक ऑफ चाइना द्वारा पेश की गई रणनीतिक चुनौतियों जैसे संकटों पर भी हमें गौर करने की जरूरत है। सीआईए वैश्विक स्तर पर आतंकवाद संबंधी खतरों का पता लगाएगी और उनसे निपटने के लिए भागीदारों के साथ काम करेगी।’

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