चीन में इस वक्त कोरोना की सबसे भयानक लहर आई है। जिस तरह के वीडियो और खबरें चीन से बाहर आईं हैं, उन्हें देखकर हर कोई कोरोना के नए वेरिएंट BF.7 को लेकर दहशत में है। लेकिन इस सबके बीच हैरानी की बात ये भी है कि कोरोना की ऐसी भयावह स्थिति के बावजूद भी चीन के लोग वैक्सीन लगवाने को तैयार नहीं हो रहे हैं। लोगों का कहना है कि कोरोना की वैक्सीन के साइड इफेक्ट की वजह से वह टीकीकरण नहीं करवाना चाहते। चीनी अधिकारी घर-घर जाकर 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को कोविड-19 रोधी टीका लगवाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। लेकिन चीन में कोरोना के केस बढ़ने के बावजूद लोग टीके के दुष्प्रभावों की बात कहकर वैक्सीन नहीं लेना चाहते।
वैकेसीन से जम रहे खून के थक्के
इस बारे में 64 वर्षीय ली लियानशेंग का कहना है कि उनके दोस्त बुखार, खून के थक्के बनने और दूसरे साइड इफैक्ट की बात सामने आने के कारण कोविड रोधी टीका नहीं लगवाना चाहते। कोरोना वायरस से संक्रमित होने से पहले टीका लगवा चुके ली ने कहा, "जब लोग ऐसी घटनाओं के बारे में सुनते हैं, तो वे टीका नहीं लगवाना चाहते।" चीन के अचानक ‘शून्य कोविड नीति’ में ढील देने के कारण देश में कोरोना वायरस के संक्रमण ने कहर बरपा दिया है और मरीजों की संख्या बहुत अधिक होने की वजह से अस्पतालों में जगह नहीं बची है। अस्पतालों के मुर्दाघर शवों से भरे पड़े हैं।
चीन में 20 लाख मौतों का अनुमान
हालांकि, स्वास्थ्य आयोग ने इस महीने कोविड-19 से केवल छह लोगों की मौत को ही आधिकारिक आंकड़ों में दर्ज किया है। यह इस तथ्य के बावजूद है जब बड़ी संख्या में लोग महामारी से अपने परिजनों की मौत की सूचना दे रहे हैं। देश में कोविड-19 से अब तक हुई मौतों का आधिकारिक आंकड़ा केवल 5,241 दिखाया गया है। पिछले सप्ताह एक स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा था कि देश संक्रमण की स्थिति में श्वसन प्रणाली के फेल होने और निमोनिया के चलते होने वाली मौतों को ही आधिकारिक आंकड़ों में दर्ज करता है। विशेषज्ञों ने पूर्वानुमान व्यक्त किया है कि चीन में 2023 के अंत तक कोरोना वायरस संक्रमण से 10 से 20 लाख लोगों की मौत हो सकती है।
दुष्प्रभाव के कारण नहीं लेना चाह रहे टीका
देश के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने बुजुर्ग चीनियों के टीकाकरण की दर बढ़ाने के लिए 29 नवंबर को एक अभियान की घोषणा की थी। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि स्वास्थ्य देखभाल संकट से बचने के लिए यह महत्वपूर्ण है। ली ने कहा कि उनके 55 वर्षीय एक दोस्त को टीका लगने के बाद बुखार और खून के थक्के जमने की समस्या हुई। उन्होंने कहा कि यह पक्का नहीं है कि इसके लिए टीका जिम्मेदार था, लेकिन उनका दोस्त अब दूसरी खुराक नहीं लगवाना चाहता। देश में ऐसे अनेक लोग हैं जो टीके के दुष्प्रभाव की घटनाओं का उदाहरण देकर टीका नहीं लगवाना चाहते।