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China Taiwan: कभी भी भड़क सकता है युद्ध, ताइवान से लड़ने को तैयार चीन! शी ने कहा- बड़े संघर्ष बड़े जोखिमों का सामना करने को एकजुट रहें

China Taiwan: हांगकांग से प्रकाशित ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ की खबर के अनुसार शी ने कहा, “हमारी पार्टी के लोगों को बड़ी चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना करने, बड़े जोखिमों से बचने, बड़ी बाधाओं को दूर करने और प्रमुख अंतर्विरोधों को हल करने के लिए एकजुट होना चाहिए।

Written By: Shilpa
Published : Oct 03, 2022 8:27 IST, Updated : Oct 03, 2022 14:28 IST
Chinese President Xi Jinping
Image Source : AP Chinese President Xi Jinping

Highlights

  • शी ने कम्युनिस्ट पार्टी से एकजुट होने को कहा
  • अंतिम पड़ाव को चुनौतियों से भरा हुआ बताया
  • चीन और ताइवान के बीच युद्ध का खतरा बढ़ा

China Taiwan: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा है कि कम्युनिस्ट पार्टी को “बड़े संघर्ष और बड़े जोखिमों का सामना करने के लिए” एकजुट रहना होगा। उन्होंने इस महीने होने वाली सत्तारूढ़ पार्टी के महत्वपूर्ण कांग्रेस (सम्मेलन) से पहले यह बात कही है। सम्मेलन के दौरान उन्हें रिकॉर्ड तीसरी बार राष्ट्रपति बनाए जाने के लिए समर्थन मिलने की उम्मीद है। पार्टी की पत्रिका ‘क्वीशी’ में शनिवार को प्रकाशित एक लेख में शी (69) ने कहा कि देश अपने बड़े राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के “कभी इतना करीब नहीं पहुंचा”, हालांकि अंतिम पड़ाव खतरों और चुनौतियों से भरा होगा।

हांगकांग से प्रकाशित ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ की खबर के अनुसार शी ने कहा, “हमारी पार्टी के लोगों को बड़ी चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना करने, बड़े जोखिमों से बचने, बड़ी बाधाओं को दूर करने और प्रमुख अंतर्विरोधों को हल करने के लिए एकजुट होना चाहिए। हमें नई ऐतिहासिक विशेषताओं के तहत बड़े संघर्षों के साथ आगे बढ़ना चाहिए।” हालांकि, उन्होंने इस बारे में विस्तारपूर्वक बात नहीं की है। उन्होंने कहा, “हम अलगाव और हठधर्मिता के पुराने रास्ते पर वापस नहीं लौटेंगे और न ही हम कभी अपने रुख में बदलाव लाएंगे।” सीपीसी हर पांच साल में पार्टी कांग्रेस का आयोजन करती है।

ताइवान युद्ध का खतरा बाढ़

शी जिनपिंग के ऐसे बयान से इस बात का डर बढ़ गया है कि चीन कभी भी ताइवान पर हमला कर सकता है। जिससे दोनों देशों के बीच जंग छिड़ जाएगी। अमेरिकी नेताओं के ताइवान दौरे से चीन पहले ही भड़का हुआ है। वह इसके चलते युद्धाभ्यास भी कर रहा है। 

क्या है चीन और ताइवान का इतिहास 

ताइवान दक्षिण-पूर्वी चीन के तट से लगभग 160 किमी दूर एक द्वीप है, जो फूजौ, क्वानझोउ और जियामेन के चीनी शहरों के सामने है। यहां शाही किंग राजवंश का शासन चलता था, लेकिन इसका नियंत्रण 1895 में जापानियों के पास चला गया। द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की हार के बाद, ये द्वीप वापस चीनी हाथों में चला गया। माओत्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों द्वारा मुख्य भूमि चीन में गृह युद्ध जीतने के बाद, राष्ट्रवादी कुओमिन्तांग पार्टी के नेता च्यांग काई-शेक 1949 में ताइवान भाग गए। च्यांग काई-शेक ने द्वीप पर चीनी गणराज्य की सरकार की स्थापना की और 1975 तक राष्ट्रपति बने रहे।

चीन ने कभी भी ताइवान के अस्तित्व को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता नहीं दी है। उसका तर्क है कि यह हमेशा एक चीनी प्रांत था। ताइवान का कहना है कि आधुनिक चीनी राज्य 1911 की क्रांति के बाद ही बना था, और यह उस राज्य या चीन के जनवादी गणराज्य का हिस्सा नहीं है, जो कम्युनिस्ट क्रांति के बाद स्थापित हुआ था। दोनों देशों के बीच राजनीतिक तनाव जारी है। आपको बता दें चीन और ताइवान के आर्थिक संबंध भी रहे हैं। ताइवान के कई प्रवासी चीन में काम करते हैं और चीन ने ताइवान में निवेश किया है।

अमेरिका और दुनिया ताइवान को कैसे देखते हैं?

संयुक्त राष्ट्र ताइवान को एक अलग देश के रूप में मान्यता नहीं देता है। दुनिया भर में केवल 13 देश- मुख्य रूप से दक्षिण अमेरिकी, कैरिबियन, द्वीपीय और वेटिकन इसे मान्यता देते हैं। वहीं अमेरिका की चीन से बढ़ती दुश्मनी के चलते उसकी नीति स्पष्ट नहीं लग रही है। जून में राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि अगर चीन ताइवान पर कब्जा करेगा, तो अमेरिका उसकी रक्षा करेगा। लेकिन इसके ठीक बाद में बाइडेन के बयान पर सफाई देते हुए अमेरिका ने कहा कि वह ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं करता है। अमेरिका का ताइपे के साथ कोई औपचारिक संबंध नहीं है, फिर भी वह उसे अंतरराष्ट्रीय समर्थन देता है और हथियारों की आपूर्ति करता है।

साल 1997 में रिपब्लिकन पार्टी के तत्कालीन हाउस स्पीकर न्यूट गिंगरिच ने ताइवान का दौरा किया था। तब भी चीन ने ऐसी ही प्रतिक्रिया दी थी, जैसी वो अभी दे रहा है। चीन के नेताओं के साथ अपनी बैठकों का जिक्र करते हुए गिंगरिच ने कहा था, "हम चाहते हैं कि आप समझें, हम ताइवान की रक्षा करेंगे।" लेकिन उसके बाद स्थिति बदल गई। चीन आज विश्व राजनीति में बहुत मजबूत शक्ति बन गया है। चीनी सरकार ने 2005 में एक कानून पारित किया था, जिसमें कहा गया कि अगर ताइवान अलग होने की बात करता है, तो उसे सैन्य कार्रवाई से मुख्य भूमि में शामिल किया जा सकता है। 

ताइवान की सरकार ने हाल के वर्षों में कहा है कि केवल द्वीप के 23 मिलियन लोगों को अपना भविष्य तय करने का अधिकार है और हमला होने पर वह अपनी रक्षा करेगा। 2016 से, ताइवान ने एक ऐसी पार्टी को चुना है, जो ताइवान की स्वतंत्रता की वकालत करती है।

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