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जस्टिन ट्रुडो के आरोपों पर भारत के पक्ष में खड़ा हुआ चीन, कनाडा समेत पश्चिमी देशों पर ग्लोबल टाइम्स ने इस तरह निकाली भड़ास

कट्टर दुश्मन चीन पहली बार कनाडा से हुए विवाद में भारत के पक्ष में उतर आया है। चीन ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में जस्टिन ट्रुडो द्वारा लगाए गए भारत पर आरोपों को पश्चिमी गठबंधन का एजेंडा बताया है। इसे भारत का फायदा उठाने के लिए दबाव की रणनीति बताई है। साथ ही कनाडा के सिखों को मोदी विरोधी बताया।

Written By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Sep 21, 2023 8:08 IST, Updated : Sep 21, 2023 10:05 IST
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रुडो।
Image Source : AP चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रुडो।

भारत और कनाडा के बीच बढ़े तनाव के दौरान चीन पहली बार हिंदुस्तान के पक्ष में खड़ा दिखाई दे रहा है। खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या मामले में भारत पर कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रुडों के आरोपों को चीन ने पश्चिमी देशों का एजेंडा बताया है। चीन के अनुसार भारत का फायदा लेने के लिए उस पर दबाव बनाने की यह अमेरिका समेत पश्चिमी देशों की रणनीति है, उनके गठबंधनों के पाखंड को उजागर करता है, जिसमें कनाडा भी शामिल है।

बता दें कि 18 जून 2023 को कनाडाई नागरिक और खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। अब कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रुडो ने संसद में बयान देकर भारत पर हत्या में शामिल होने का बेहद संगीन आरोप लगाया है। हालांकि भारत ने कनाडा के इन आरोपों को बेतुका, प्रेरित और आधारहीन बताकर तत्काल ही खारिज कर दिया था। चीन का ग्लोबल टाइम्स लिखता है कि कनाडा ने एक शीर्ष भारतीय राजनयिक विदेश मंत्री मेलानी जोली ने देश में भारतीय खुफिया एजेंसी का प्रमुख बताते हुए बाहर निकाल दिया। मगर भारत ने भी उसे लहजे में कनाडा को सख्त जवाब दिया। भारत ने तुरंत घोषणा की कि उसने भारत में स्थित एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को निष्कासित कर दिया है।

चीन ने कहा- भारत और मोदी सरकार का विरोध करने वाले खालिस्तानियों को प्राश्रय दे रहा कनाडा

चीन के ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि भारत और कनाडा के बीच मुख्य विवाद कनाडा में सिख समुदाय के आसपास केंद्रित रहा है। जिन्हें भारत खालिस्तानी कहता है और जो मोदी सरकार का विरोध करते हैं और सिख अधिकारों की वकालत करते है। इन्हें कनाडा में प्राश्रय मिल रहा है। हाल के वर्षों में अलगाववादी खालिस्तान आंदोलन का पुनरुत्थान भारत और कनाडा के बीच विवाद का एक प्रमुख मुद्दा बन गया है, जिससे उनके द्विपक्षीय संबंधों पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। दोनों देशों के बीच चल रही तनातनी ने भारत-कनाडा संबंधों को और खतरे में डाल दिया है। पर्यवेक्षकों के अनुसार भारत में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच मुलाकात का नहीं होना ही दोनों देशों के रिश्तों में खतरे का संकेत था। अब कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रुडों के आरोपों के बाद यह मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। 

अमेरिका और पश्चिम की साजिश

चीन ने इस विवाद को अमेरिका और पश्चिमी देशों के गठबंधन की साजिशस करार दिया है। चीन ने कहा है कि इससे अमेरिका के नेतृत्व वाली तथाकथित मूल्य-आधारित गठबंधन प्रणाली की कमजोरी और उजागर हो रही है। पश्चिमी देश मानवाधिकारों के रक्षक होने का दावा करते हैं और अक्सर मानवाधिकार संबंधी मुद्दों पर दूसरे देशों की आलोचना करते हैं। भारत की तथाकथित "लोकतंत्र" के लिए उनकी प्रशंसा मुख्य रूप से भूराजनीतिक हितों और भारत को उनके चीन विरोधी गठबंधन में शामिल करने की इच्छा से प्रेरित है। पश्चिमी अभिजात वर्ग भारत के तथाकथित "लोकतंत्र" और उनके अपने लोकतंत्र के बीच पर्याप्त अंतर से अच्छी तरह परिचित हैं। पश्चिम में कई व्यक्ति भारत की धार्मिक और अल्पसंख्यक नीतियों का समर्थन नहीं करते हैं। सिंघुआ विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय रणनीति संस्थान में अनुसंधान विभाग के निदेशक कियान फेंग ने ग्लोबल टाइम्स को बताया कि पश्चिम, विशेष रूप से अमेरिका, हाल के वर्षों में लोकतंत्र और स्वतंत्रता के सामान्य मूल्यों का झंडा लहरा रहा है, व्यापक सहयोग विकसित करने का प्रयास कर रहा है। चीन को रोकने के लिए भारत के साथ वे कुछ भी करने को तैयार हैं। यह भारत के साथ पश्चिमी गठबंधन के पाखंड को उजागर करता है।

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