Highlights
- यूएन में आतंकियों को बचा रहा चीन
- हाफिज सईद के बेटे का किया समर्थन
- भारत और अमेरिका का प्रस्ताव रोका
China Protecting Terrorists: दुनिया के लिए नासूर, मासूमों का खून बहाने वाले, लाखों करोड़ों लोगों के लिए खतरा... यहां बात आतंकियों की हो रही है। जिनकी सबसे बड़ी तादाद पाकिस्तान में रहती है। इन आतंकियों से दुनिया को सुरक्षित करने के लिए इन पर प्रतिबंध लगाना उतना ही जरूरी है, जितना खराब तबीयत में दवा खाना। लेकिन क्या हो अगर कोई देश इन्हीं आतंकियों का रक्षा कवच बन जाए? खासतौर पर वो देश जिसके पास संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की वीटो पावर भी हो? ये एक बेहद ही डराने वाला वाक्या लगता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज के वक्त में ये सच भी साबित हो रहा है? और आतंकियों को बचाने वाला और वीटो पावर का गलत इस्तेमाल करने वाला देश और कोई नहीं बल्कि चीन है।
चीन वैसे तो लंबे वक्त से आतंकियों को बचाने में जुटा हुआ है। लेकिन अभी हाल का आंकड़ा देखें, तो पाएंगे कि उसने केवल 4 महीने के भीतर 5 बार इस तरह आतंकियों को बचाया है। भारत और अमेरिका ने पाकिस्तान में बसे इन आतंकियों को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव रखे थे। जिन्हें चीन ने बार-बार रोका। बेशक इसके पीछे की एक वजह हम चीन की पाकिस्तान से दोस्ती को मान सकते हैं। लेकिन क्या ऐसा करके वो पूरी दुनिया को खतरे में नहीं डाल रहा? आज हम उन आतंकियों की बात कर लेते हैं, जिन्हें चीन ने हाल के समय में बचाया है।
ब्लैक लिस्ट में डाले जाने से रोका
ताजा मामला हाफिज सईद के बेटे का है। चीन ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद के बेटे हाफिज तलाह सईद को काली सूची में डालने के भारत और अमेरिका के प्रस्ताव को बुधवार को संयुक्त राष्ट्र में बाधित किया है। दो दिन में चीन का यह इस तरह का दूसरा कदम है। 46 साल का हाफिज तलाह सईद आतंकवादी समूह लश्कर का एक अहम नेता और 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का बेटा है। इस साल अप्रैल में उसे भारत सरकार ने आतंकवादी घोषित किया था।
दो दिन में दूसरी बार आतंकी को बचाया
ऐसा बताया जा रहा है कि चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति के तहत प्रस्ताव को बाधित किया है। दो दिन में यह दूसरी बार है, जब बीजिंग ने पाकिस्तानी आतंकवादी को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की भारत और अमेरिकी की कोशिश में अड़ंगा डाला है। इससे पहले चीन ने मंगलवार को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी शाहिद महमूद को वैश्विक आतंकवादी की सूची में शामिल कराने के भारत और अमेरिका के प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र में बाधित कर दिया था।
2016 में आतंकी घोषित हुआ था महमूद
मंगलवार को चीन द्वारा बचाए गए महमूद की बात करें, तो अमेरिका के वित्त मंत्रालय ने ‘लश्कर-ए तैयबा के धन जुटाने के प्रयासों और उसके नेटवर्क को बाधित करने के लिए’ उसे और लश्कर के एक अन्य सदस्य मोहम्मद सरवर को दिसंबर 2016 में वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया था। चीन ने ऐसे में भारत और अमेरिका के इस प्रस्ताव को बाधित किया है, जब संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस भारत यात्रा पर हैं। उन्होंने मुंबई में 26/11 आतंकवादी हमले में जान गंवाने वाले लोगों को बुधवार को श्रद्धांजलि भी अर्पित की है। इस आतंकवादी हमले में अमेरिकी नागरिकों सहित 160 से अधिक लोग मारे गए थे।
2007 में लश्कर से जुड़ा था महमूद
अमेरिकी वित्त मंत्रालय की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार, महमूद ‘पाकिस्तान के कराची स्थित लश्कर का एक पुराना सदस्य है और वह कम से कम 2007 से संगठन से जुड़ा है। वह जून 2015 से कम से कम जून 2016 तक फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) का उपाध्यक्ष रहा, जो लश्कर की धन जुटाने वाली इकाई है।’ वेबसाइट के अनुसार, 2014 में महमूद कराची में एफआईएफ का सदस्य था। अगस्त 2013 में उसकी पहचान लश्कर की प्रकाशन इकाई के एक सदस्य के तौर पर की गई थी।
जून में रहमान मक्की को बचाया
यह पिछले चार महीने में चौथी बार है, जब चीन ने ‘1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति’ के तहत पाकिस्तान स्थित किसी आतंकवादी को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव को बाधित किया है। इससे पहले चीन ने इस साल जून में पाकिस्तानी आतंकवादी अब्दुल रहमान मक्की को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की प्रतिबंधित सूची में शामिल करने के भारत और अमेरिका के संयुक्त प्रस्ताव को आखिरी क्षण में बाधित कर दिया था। मक्की लश्कर-ए-तैयबा के सरगना एवं 26/11 मुंबई हमलों के मुख्य साजिशकर्ता हाफिज सईद का रिश्तेदार है।
वहीं सितंबर में चीन ने लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर साजिद मीर पर प्रतिबंध लगाने के भारत-अमेरिका के संयुक्त प्रस्ताव को रोक दिया था। मीर एक मोस्ट वांटेड आतंकवादी और 2008 के मुंबई हमलों का हैंडलर था। मीर पर 26/11 के मुंबई हमलों में उसकी भूमिका के लिए अमेरिका द्वारा उसके सिर पर 5 मिलियन डॉलर का इनाम रखा गया है।
मसूद अजहर के भाई का बचाव किया
चीन ने इस साल अगस्त में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के भाई और पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन के दूसरे नंबर के आतंकवादी अब्दुल रऊफ अजहर को काली सूची में डालने के अमेरिका और भारत के प्रस्ताव में भी टांग अड़ाई थी। पाकिस्तान में 1974 में जन्मे अब्दुल रऊफ अजहर पर दिसंबर 2010 में अमेरिका ने प्रतिबंध लगाए थे। वह 1999 में ‘इंडियन एयरलाइंस’ के विमान ‘आईसी-814’ को अगवा करने की वारदात का मुख्य साजिशकर्ता था, जिसके एवज में उसके भाई मसूद अजहर को जेल से रिहा कराया गया था।