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बड़ा खतरा बनेगी चीन की 'Rocket Force', महज 10 साल में बनाईं परमाणु बम से लैस 13 नई ब्रिगेड, भारत के लिए क्यों है चिंता की बात?

China Rocket Force: पीएलए ने 1980 से 2000 तक 4 नई मिसाइल ब्रिगेड बनाई हैं। इनमें से तीन ऐसी हैं, जिनके पास नई तरह के हथियार हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2000 से 2010 तक मिसाइल ब्रिगेड के विस्तार में तेजी आई है। 11 नई ब्रिगेड बनाई गई हैं, जिनके पास बड़ी तादाद में नई तरह के हथियार हैं।

Written By: Shilpa
Published : Aug 29, 2022 15:39 IST, Updated : Aug 29, 2022 18:17 IST
China Rocket Force
Image Source : INDIA TV China Rocket Force

Highlights

  • चीन ने 1966 में बनाई थी रॉकेट फोर्स
  • ये मिसाइल से दुश्मन पर करती है हमला
  • पहले सेकेंड आर्टिलरी कॉर्प्स था नाम

China Rocket Force: चीन तेजी से अपनी मिसाइल ताकत को बढ़ा रहा है। मामले में अमेरिकी वायु सेना की एयर यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि चीन अविश्वसनीय रूप से तेजी से और बड़े पैमाने पर अपनी मिसाइलों का विस्तार कर रहा है। जिसमें परमाणु और परंपरागत मिसाइलें शामिल हैं। यूनिवर्सिटी के चाइना एयरोस्पेस स्टडीज इंस्टीट्यूट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी की रॉकेट फोर्स अपनी मिसाइलों का आकार बढ़ा रही है। रॉकेट फोर्स की संख्या के आधार पर मिसाइल और लॉन्चर दोनों में भी इजाफा किया जा रहा है।

पीएलए ने 1980 से 2000 तक 4 नई मिसाइल ब्रिगेड बनाई हैं। इनमें से तीन ऐसी हैं, जिनके पास नई तरह के हथियार हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2000 से 2010 तक मिसाइल ब्रिगेड के विस्तार में तेजी आई है। 11 नई ब्रिगेड बनाई गई हैं, जिनके पास बड़ी तादाद में नई तरह के हथियार हैं। इसमें पहली जमीन से लॉन्च होने वाली क्रूज मिसाइल सीजे-10 है और इसका पहला सेल्फ-कंटेंड रोड मोबाइल आईसीबीएम, डीएफ-31 और एंटी शिप बैलिस्टिक मिसाइल डीएफ-21 डी हैं। 

ब्रिगेड हाइपरसोनिक मिसाइलों से लैस

 
2010 से 2020 के बीच मिसाइलों के निर्माण में बड़े स्तर पर बढ़ोतरी की गई। इस दौरान 13 नई ब्रिगेड की शुरुआत हुई, जिसमें लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम डीएफ-41 जैसी रोड-मोबाइल इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल भी हैं। चीन ने अपनी नई ब्रिगेड में दुनिया की पहली हाइपरसोनिक मिसाइल डीएफ-17 को भी तैनात किया हुआ है।

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Image Source : INDIA TV
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चीन की रॉकेट फोर्स क्या है?

चीन ने 1966 में रॉकेट फोर्स बनाई थी। जो मिसाइल के जरिए अपने दुश्मनों पर हमला करती है। शुरुआत में इसका नाम सेकेंड आर्टिलरी कॉर्प्स रखा गया था। इस फोर्स में पहले सतह से सतह तक मार करने वाली मिसाइलें शामिल थीं। यह परमाणु और परंपरागत हथियार वहन करने में सक्षम है। चीन की रॉकेट फोर्स में करीब 1.20 लाख जवान शामिल हैं। इस फोर्स में शामिल रॉकेटों को वाहनों की मदद से कहीं भी लाया और ले जाया जा सकता है।  

क्या भारत को है कोई खतरा?

इस रॉकेट फोर्स का इस्तेमाल चीन उस समय भारत के खिलाफ कर सकता है, जब दोनों देशों के बीच किसी तरह की जंग हो। भारत और चीन के बीच पहले भी युद्ध हो चुका है। दोनों के बीच सिनो-इंडिया वॉर 1962 में लड़ी गई थी, ये भारतीय सेना द्वारा लड़ी गई एक ऐसी जंग है, जिसे भूले नहीं भुलाया जा सकता। खास बात यह है कि भारतीय सेना चीन के हमले के लिए तैयार नहीं थी। अचानक बिना चेतावनी हुए हमले के बाद भारत के 20,000 सेना के जवानों ने चीन के 80,000 सैनिकों के साथ लड़ाई लड़ी। लड़ाई करीब एक महीने तक चली और नवंबर, 1962 में तब खत्म हुई, जब चीन ने युद्धविराम की घोषणा की थी। चीन तिब्बत पर राज करने की इच्छा बना चुका था और भारत को अपने लिए खतरा मान रहा था, उसकी यही धारणा चीन-भारत युद्ध के सबसे प्रमुख कारणों में से एक बन गई।

युद्ध शुरू होने से पहले 1962 में ही भारत और चीन के बीच तनाव बना हुआ था। 10 जुलाई 1962 को लगभग 350 चीनी सैनिकों ने चुशुल में एक भारतीय चौकी को घेर लिया और गोरखाओं को यह समझाने के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया कि उन्हें भारत के लिए नहीं लड़ना चाहिए। हालांकि भारत युद्ध के लिए तैयार नहीं था, लेकिन जब भारतीय सेना को पता चला कि चीनी सेना एक दर्रे में इकट्ठी हुई है, तो उसने मोर्टार और मशीनगनों से गोलियां चलाईं और लगभग 200 चीनी सैनिकों को मार गिराया।

China Rocket Force

Image Source : INDIA TV
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भारत और चीन के बीच नाथुला की लड़ाई भी हुई थी। 1967 की जंग में भारतीय सेना ने चीन के सैकड़ों सैनिकों को मार गिराया था और उसके दुस्साहस का जवाब देते हुए कई बंकरों को भी ध्वस्त किया। नाथुला दर्रा 14,200 फुट की ऊंचाई पर स्थित है, यह तिब्बत सिक्कम सीमा पर है। चीन ने 1967 में भारत से कहा था कि वह नाथुला और जेलेप ला दर्रे को खाली कर दे। जानकारी के मुताबिक, भारत की 17 माउंटेन डिवीजन ने जेलेप ला दर्रे को तो खाली कर दिया था लेकिन भारतीय सैनिक नाथुला में डटे रहे थे। फिर 6 सितंबर, 1967 में चीन के बंकरों की तरफ से धक्का मुक्की के बाद गोलीबारी शुरू हो गई। ये जंग इतनी भयानक थी कि महज 10 मिनट के भीतर ही भारत के 70 जवान शहीद हो गए। 

भारतीय सैनिकों ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए चीन के 400 सैनिकों को मार गिराया था। भारत ने तीन दिनों तक लगातार गोलीबारी की। 14 सितंबर को चीन की तरफ से धमकी देते हुए कहा गया कि अगर भारत गोलीबारी बंद नहीं करेगा, तो वह हमला कर देगा। इसके बाद भारत ने चीन को सबक सिखाना जारी रखा, सबक मिलते ही गोलीबारी रोक दी गई थी। 

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