Friday, November 22, 2024
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ताइवान ने तरेरी आंख तो चीन अब देश पर डालने लगा डोरे, जानें जिनपिंग की किस पड़ोसी पर फिसली नीयत

ताइवान में लाई-चिंग-ते के राष्ट्रपति बनने के बाद ही चीन ने इस देश से अपने संबंधों को तोड़ लिया था। अब चीन एक अन्य द्वीप देश पर बुरी नजर डालने लगा है। ताइवान की तरह यह भी एक द्वीप देश है और क्षेत्रफल में ताइवान से भी छोटा है। इस छोटे से देश का नाम नाउरू है, जिससे चीन ने अब अपने राजनयिक संबंधों को बहाल कर लिया है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: January 24, 2024 11:56 IST
शी जिनपिंग, चीन के राष्ट्रपति। - India TV Hindi
Image Source : AP शी जिनपिंग, चीन के राष्ट्रपति।

ताइवान में चीन विरोधी नेता के राष्ट्रपति बनने के बाद शी जिनपिंग ने तत्काल अपने राजनयिक संबंध तोड़ लिए। वहीं दूसरी तरफ एक अन्य देश पर अब चीन ने अपना डोरा डालना शुरू कर दिया है। चीन की बुरी नजर अब जिस द्विपीय देश पर पड़ी है, यह सबसे छोटा राष्ट्र है। इसका क्षेत्रफल केवल 21 लाख वर्ग किलोमीटर है। इसे नाउरू या नौरू के नाम से भी जानते हैं।  यह मैक्रोनेशियाई दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित द्वीप राष्ट्र है। यह दुनिया का सबसे छोटा ऐसा गणराज्य है, जिसकी कोई राजधानी नहीं है। 
 
ताइवान से रिश्ते बिगड़ने के बाद अब चीन की इस द्वीप देश पर नीयत खराब होने लगी है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस देश से राजनयिक संबंध बहाल करने का ऐलान करने के बाद अब उसे अपने जाल में फंसाने के लिए डोरे डालना शुरू कर चुके हैं। अब नाउरू को चीन तरह-तरह के सब्जबाग दिखा रहा है। ताकि वह उसके प्रभाव में आ जाए। हालांकि इस बीच चीन के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि बीजिंग ने नाउरू के साथ राजनयिक संबंध बहाल कर लिए हैं। प्रशांत द्वीपीय देश नाउरू ने इसी महीने ताइवान के साथ अपने संबंध खत्म कर दिए थे जिसके बाद चीन ने यह कदम उठाया है।

चीन से संबंध टूटने के बाद ताइवान के अब केवल 12 देशों से रह गए राजनयिक संबंध

नाउरू ने ताइवान के राष्ट्रपति चुनाव के महज दो दिन बाद ही 15 जनवरी को यह घोषणा की थी। नाउरू के इस कदम के बाद ताइवान के अब 12 देशों के साथ राजनयिक संबंध रह गए हैं। हालांकि, अमेरिका, जापान और अन्य देशों के साथ उसके मजबूत अनौपचारिक संबंध हैं। चीन यह दावा करता रहा है कि ताइवान उसका हिस्सा है। यह अक्सर विकास सहायता के वादे के साथ द्वीपीय क्षेत्र के राजनयिक सहयोगियों को हटाता रहा है। यह दोनों के बीच लंबे समय से चली आ रही प्रतिस्पर्धा है जो हाल के वर्षों में चीन की तरफ झुकती दिखाई दी है। वहीं चीन मालद्वीव को भी फंसा चुका है। ​(एपी) 

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