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मालदीव से वापस लौटा चीन का अनुसंधान जहाज, जानें क्यों जासूसी के लिए है बदनाम

जनवरी में मालदीव गया चीन का अनुसंधान जहाज माले से बीजिंग के लिए रवाना हो गया है। अनुसंधान का दावा करने वाला यह चीनी जहाज जासूसी के लिए बदनाम है। भारत और मालदीव के रिश्ते खराब होने के बाद करीब 15 दिनों के लिए यह जासूसी जहाज माले गया था। अब स्वदेश वापसी कर चुका है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: February 28, 2024 18:51 IST
चीन का जासूसी जहाज।- India TV Hindi
Image Source : FILE चीन का जासूसी जहाज।

माले: मालदीव में कई दिनों तक रहने के बाद चीन का जासूसी जहाज अब वापसी के लिए रवाना हो गया है। अनुसंधान के नाम पर मालदीव गया यह चीनी जहाज जासूसी के लिए बदनाम है। इसलिए इसके मालदीव जाते ही भारत चिंतित हो उठा था। यह पिछले सप्ताह मालदीव के एक बंदरगाह पर पहुंचा था। 4500 टन वजनी उच्च प्रौद्योगिकी से लैस चीन का अनुसंधान जहाज मालदीव की तट से अब रवाना हो गया है। स्थानीय मीडिया ने बुधवार को यह खबर दी। आधिकारिक रूप से जियांग यांग हांग थ्री नामक यह चीनी जहाज ने ‘‘कर्मियों को बदलने और आपूर्ति के लिए’ के लिए बंदरगाह पर लंगर डाला था।

अंतरराष्ट्रीय मीडिया के अनुसार, ‘‘22 फरवरी से माले में लंगर डालने के बाद जियांग यांग हांग थ्री मालदीव विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र की सीमा पर लौट गया है। लेकिन माले बंदरगाह से रवाना हो जाने के बाद भी दो दिन पहले ट्रैकिंग साइटों पर इस जहाज का आखिरी सिग्नल हुलहुमाले के समीप नजर आया।’’ हुलमुमाले माले के उत्तर पूर्व में 10 किलोमीटर से भी कम दूरी पर है। यह जहाज 23 फरवरी को थिलाफुशी पर रूका था जो माले से पश्चिम में करीब साढ़े सात किलोमीटर दूर है। न्यूज पोर्टल ने कहा, ‘‘ ऐसी संभावना है कि इस जहाज ने ट्रैकिंग प्रणाली बंद कर दी हो जैसा उसने 22 फरवरी को इंडोनिया के तट के पास जावा समुद्री क्षेत्र से माले रवाना होते हुए किया था।

2016 में चीन के बेड़े में शामिल हुआ था ये जहाज

करीब 100 मीटर लंबे इस जहाज को 2016 में चीन के सरकारी समुद्री प्रशासन के बेड़े में शामिल किया गया था। चीन में यह एकमात्र 4500 टन का वजनी जहाज है। 2019 से चीन अपने पायलट ओसियन लेबोरेटरी में ‘तट से दूर समुद्र में ’ एवं ‘गहरे सागर’ में सर्वेक्षण के लिए इस जहाज का इस्तेमाल कर रहा है। पांच जनवरी को श्रीलंका ने जियांग यांग हांग थ्री के प्रवेश को अनुमति देने से इनकार करते हुए कहा था कि उसने अपनी समुद्री सीमा में विदेशी अनुसंधन जहाजों के प्रवेश पर एक साल के लिए रोक लगाने की घोषणा की है। भारत ने अपने पड़ोस में चीन के अनुसंधान जहाजों के लंगर डालने पर चिंता प्रकट की थी। संयोग से यह चीनी जहाज भारत-मालदीव-श्रीलंका त्रिपक्षीय ‘दोस्ती-16’ अभ्यास के स्थल के समीप ही था। यह अभ्यास 22 फरवरी और 25 फरवरी के बीच हुआ था।

मालदीव ने किया था ये दावा

चीन समर्थक मालदीव की नई सरकार ने 23 जनवरी को कहा था कि उसने अनुसंधान एवं सर्वेक्षण की सुविधाओं से लैस इस अनुसंधान जहाज को माले बंदरगाह पर ठहरने की अनुमति दी है क्योंकि उसका पड़ाव कर्मियों की पाली बदलने के लिए था तथा यह ‘मालदीव समुद्री सीमा में रहने के दौरान कोई अनुसंधान नहीं करेगा।’’ एक अमेरिकी थिंक टैंक ने आरोप लगाया गया है कि चीनी ‘वैज्ञानिक अनुसंधान’ जहाजों का विशाल बेड़ा सैन्य मकसदों खासकर पनडुब्बी संचालन के लिए हिंद महासागर क्षेत्र समेत सागरों से आंकड़ा जुटा रहा है। चीन ने इस आरोप का खंडन किया है। उसका कहना है कि उसके जहाज संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि के तहत संचालित होते हैं। (भाषा) 

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