चीन के नए विदेश मंत्री चिन गांग ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के साथ अपनी पहली फोन चर्चा में कहा कि चीन को पाकिस्तान में काम कर रहे उसके नागरिकों की सुरक्षा की चिंता है और इस नाते मजबूत कदम उठाए जाने चाहिए। चिन ने हाल में वांग यी की जगह ली है। उन्होंने 9 जनवरी को पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो अनुरोध पर उनसे फोन पर बात की। चीन के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को यहां एक बयान में यह जानकारी दी।
दोनों देशों के बीच विशेष संबंधों का परंपरागत उल्लेख करने तथा संबंधों में और सुधार की चीन की इच्छा जताते हुए चिन ने इस बात पर जोर दिया कि चीनी नव वर्ष कुछ ही दिन में शुरू होने वाला है और ऐसे में चीनी पक्ष को पाकिस्तान में अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर काफी चिंता है। उसे उम्मीद है कि पाकिस्तानी पक्ष मजबूत सुरक्षा उपाय करता रहेगा।
बिलावल ने चीनी विदेश मंत्री को दिया भरोसा
चीनी विदेशमंत्री के खरे खरे बयान पर बिलावल ने चिन को भरोसा दिया है कि पाकिस्तानी पक्ष अपने यहां चीनी नागरिकों, संस्थाओं और चल रहे प्रोजेक्ट्स की सुरक्षा में किसी तरह की कोताही नहीं बरतेगा। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) से संबंधित विभिन्न परियोजनाओं पर काम कर रहे सैकड़ों चीनी कर्मियों की सुरक्षा पिछले कुछ साल में बीजिंग के लिए चिंता का विषय बन गई है। सीपीईसी का उद्देश्य बलूचिस्तान में पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिनझियांग प्रांत के साथ जोड़ना है। भारत ने सीपीईसी को लेकर आपत्ति जताई है, क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से गुजरता है।
चीन को डर- नए साल पर हो सकता है हमला
चीन में 211 जनवरी से एक सप्ताह तक चीनी नववर्ष मनाया जाता है। ऐसे में चीन को यह डर है कि इस उत्सव के बीच उनके नागरिकों पर पाकिस्तान में हमला न हो जाए। उधर, पाकिस्तान ने चीनी कामगारों की सुरक्षा के लिए सेना की टुकड़ियों को तैनात किया है। दरअसल, पिछले साल अप्रैल में कराची विश्वविद्यालय में हुए एक आत्मघाती बम हमले में तीन चीनी शिक्षक मारे गए थे।
बीएलए और टीटीपी करते हैं चीन के प्रोजेक्ट्स का विरोध
अलगाववादी संगठन बलोच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने हमले को अंजाम दिया था। इससे पहले भी चीनी नागरिकों पर लगातार हमले होते रहे हैं। दरअसल, बीएलए बलूचिस्तान में चीन के निवेश का विरोध करता है और उसका आरोप है कि दोनों देश इस संसाधन संपन्न प्रांत का दोहन कर रहे हैं। प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) जैसे चरमपंथी इस्लामिक आतंकवादी संगठन पर भी हमले के आरोप लगते रहे हैं।