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चीन ने CPEC के लिए कंगाल पाकिस्तान पर डाले डोरे, रिझाने के लिए कही ये बात

चीन अपनी सीपीईसी योजना को पाकिस्तान में विस्तार देना चाहता है। इसलिए वह अब फिर पाकिस्तान पर डोरे डाल रहा है। हाल ही में चीन ने पाकिस्तान की आर्थिक मदद भी की है। हालांकि यह सब करने में उसने काफी देर कर दी। चीन ने अब हमेशा पाकिस्तान के साथ खड़े रहने की बात कही है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Aug 01, 2023 19:13 IST, Updated : Aug 01, 2023 19:13 IST
पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग
Image Source : AP पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग

पाकिस्तान को अपना आर्थिक गुलाम बनाने और अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए चीन ने उस पर डोरे डालना शुरू कर दिया है। चीन चाहता है कि उसकी महत्वाकांक्षी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) योजना मूर्त रूप से आकार ले सके। कभी कंगाली में पाकिस्तान को फूटी कौड़ी भी देने से मान करने वाले चीन ने अब उसे रिझाने के लिए बड़ा बयान दिया है। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा है कि चीन अपने रणनीतिक संबंधों को नयी ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए अपने सदाबहार सहयोगी पाकिस्तान के साथ काम करना जारी रखेगा।

चीन को यह बयान ऐसे वक्त में सामने आया है जब दक्षिण एशियाई देश में क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने वाले पाकिस्तान में चीन की महत्वाकांक्षी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजनाओं के आरंभ के 10 साल पूरे हो गए हैं। इस अवसर पर इस्लामाबाद में सोमवार को ‘चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) के एक दशक’ नाम से कार्यक्रम का आयोजन किया गया। शी ने कहा कि 60 अरब अमेरिकी डॉलर का सीपीईसी बुनियादी ढांचा कार्यक्रम बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) की एक ‘महत्वपूर्ण अग्रणी परियोजना’ है। सीपीईसी, पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिनजियांग प्रांत से जोड़ता है।

भारत कर रहा है सीपीईसी का विरोध

चीन की सीपीईसी परियोजना का भारत आरंभ से ही विरोध कर रहा है, क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है। इस कार्यक्रम में चीन के उप प्रधानमंत्री हे लिफेंग शामिल हुए जो पाकिस्तान की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं। सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ ने चिनफिंग के हवाले से कहा, ‘‘सीपीईसी की वर्ष 2013 में शुरुआत के बाद से चीन और पाकिस्तान व्यापक परामर्श, संयुक्त योगदान और साझा लाभ के सिद्धांत के तहत इसे आगे बढ़ा रहे हैं और इसके तहत कई शुरुआती लाभ हुए हैं।  (भाषा)

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