China Qin Gang: चीन में हाल में ही कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना यानी सीपीसी की 20वीं राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक संपन्न हुई है, जिससे ये साफ हो गया है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग लंबे समय तक चीन पर राज करने वाले हैं। वह पार्टी के महासचिव के तौर पर नियुक्त किए गए हैं। इसके साथ ही जिनपिंग ने अपनी टीम का भी ऐलान कर दिया है, जो अगले पांच साल तक उनके साथ नजर आएगी। जिनपिंग ने अपने वफादार कर्मियों और करीबी दोस्तों को टीम में शामिल किया है। अब वह विदेश नीति को भी फिक्स करना चाहते हैं। ऐसे में अब चीन की पश्चिमी देशों के प्रति विदेश नीति पहले से अधिक आक्रामक दिखने वाली है।
जुलाई 2021 से हैं राजदूत
किन गैंग को भी शी जिनपिंग ने अपनी टीम में शामिल किया है। वह जुलाई 2021 से अमेरिका में चीन के राजदूत हैं। ऐसा माना जा रहा है कि मार्च में उन्हें देश का नया विदेश मंत्री बनाया जा सकता है। विदेश मंत्री के पद की रेस में वह सबसे आगे चल रहे हैं। 56 साल के गैंग भी 205 सदस्यों वाली सेंट्रल कमिटी में शामिल हुए थे। उन्हें एक ऐसे राजदूत के रूप में जाना जाता है, जो हमेशा कठोर शब्दों का इस्तेमाल कर चीन के हितों पर जोर देते हैं।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के 72 पन्नों के लंबे भाषण में भारत के लिए क्या संदेश छिपा है? अगर वह विदेश मंत्री बनते हैं, तो माओत्से तुंग के बाद जिनपिंग ऐसे पहले राष्ट्रपति होंगे जो सीधे तौर पर इतने उच्च पद पर राजनयिक नियुक्त करेंगे। साल 2013 में जिनपिंग ने विदेश मंत्रालय वांग यी को सौंप दिया था। उन्हें एक बहुत ही विनम्र और शांत नेता माना जाता था। लेकिन जब वे इस पद पर आए तो उनका व्यक्तित्व आक्रामक और कई बार काफी सख्त नजर आया।
सेवानिवृत हो जाएंगे वांग यी
वांग वर्तमान में 69 साल के हैं और ऐसा माना जाता है कि वे सेवानिवृत्त हो रहे हैं। वांग को एक ऐसे विदेश मंत्री के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने जिनपिंग की 'वॉल्फ वॉरियर' नीति को आगे बढ़ाया है। वहीं किन अक्सर अमेरिकी न्यूज चैनलों पर इंटरव्यू देते नजर आते हैं। किन को ट्विटर पर 20 लाख से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं। हालांकि ट्विटर को चीन ने ब्लॉक किया हुआ है।
अमेरिका को चीन से लगता है डर
इस साल अगस्त महीने में जब अमेरिकी कांग्रेस की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ताइवान की यात्रा करने वाली थीं, तो किन ने एक साक्षात्कार दिया था। इस इंटरव्यू में किन ने कहा था, 'मुझे लगता है कि अमेरिका अब चीन से डरता है और यह डर बढ़ता जा रहा है।' किन ने साफ कर दिया था कि ताइवान का मुद्दा लोकतंत्र या आजादी से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह चीन की संप्रभुता और अखंडता का मामला है। उनके मुताबिक ताइवान हमेशा से चीन का हिस्सा रहा है। इसे डच आक्रमणकारियों और जापानी आक्रमणकारियों द्वारा चीन से अलग किया गया था। किन विदेश मंत्रालय में डिप्टी भी रह चुके हैं और वह प्रवक्ता भी थे।
पाकिस्तान का समर्थन करते हैं किन गैंग
साल 2008 में जब तत्कालीन उप विदेश मंत्री याफेई ने पाकिस्तान का दौरा किया था, तब किन गैंग ने सरकार की ओर से एक बयान दिया था। किन ने कहा था कि चीन भारत और पाकिस्तान का पड़ोसी है और उम्मीद जताई थी कि दोनों देश बातचीत के जरिए अपने मुद्दों को सुलझाएंगे। किन ने स्पष्ट किया था कि याफेई चीनी सरकार की ओर से विशेष दूत के तौर पर गए थे। इसके बाद उन्होंने पाकिस्तान की पैरवी की और कहा कि वह बातचीत के जरिए भारत के साथ मुद्दों को सुलझाना चाहता है। इसमें चीन उसके साथ है।
ताइवान पर भी है चीन का पूरा ध्यान
ऐसे में किन को विदेश मंत्री के तौर पर चुनना शी जिनपिंग की पहली प्राथमिकता होगी। अमेरिका स्थित थिंक टैंक स्टिमसन सेंटर में चीन के विशेषज्ञ यूं सुन के अनुसार जिनपिंग एक ऐसे नेता हैं, जो अपने मंत्री या सलाहकार को चुनते समय कमियों पर जरूर ध्यान देते हैं। जिनपिंग के साथ किन की बहुत बनती है और ऐसे में उन्हें यह पद सौंपा जा सकता है। इसके अलावा ताइवान का भी ध्यान रखा जाएगा। हालांकि अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने ताइवान पर चीन की नीति और आक्रामकता को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।