Highlights
- नेपाल पहुंचा हुआ है चीन का बड़ा नेता
- चुनाव परिणाम बदलने की कोशिश
- अपनी पसंद की सरकार चाहता है चीन
China Nepal: नेपाल में आम चुनाव से ठीक पहले वहां चीन के तीसरे सबसे बड़े नेता ली झांशु आए हैं। वह काठमांडू पहुंचे हुए हैं। नेपाल के अधिकारी उनकी यात्रा को लेकर चुप्पी साधे बैठे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि चीन भारत और अमेरिका के नेपाल में बढ़ते प्रभाव से चिंतित है। यही वजह है कि यहां ली को आम चुनाव से पहले भेजा गया है। इससे पहले मार्च की शुरुआत में चीन के विदेश मंत्री वांग यी यहां आए थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी के दोनों धड़ों केपी शर्मा ओली और प्रचंड के बीच सुलह कराने की कोशिश कर रहा है, ताकि काठमांडू में उसकी इच्छा के मुताबिक सरकार बनाई जा सके। नेपाल में आम चुनाव को अब केवल 9 हफ्ते का वक्त बचा है।
इस यात्रा से चीन चुनाव परिणामों को अपने मुताबिक ढालने की कोशिश कर रहा है। चीन ने पिछले चुनाव में ओली और प्रचंड को एक साथ लाने में पूरी ताकत झोंक दी थी और वह सफल भी हुआ था। हालांकि ताजा चुनाव में ये दोनों नेता एक दूसरे के कट्टर विरोधी बन गए हैं। नेपाल के कई विश्लेषकों का मानना है कि ये यात्राएं चीन अमेरिका को टक्कर देने के लिए कर रहा है। चीन को डर है कि अमेरिका नेपाल में बड़ा खेल खेल रहा है। वह भी तब जब नेपाल ने लंबे विरोध के बाद 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर के एमसीसी समझौते को मंजूरी दी है। इतना ही नहीं, नेपाल ने यूक्रेन पर रूस के हमले का भी विरोध किया है, जो चीन के रुख से मेल नहीं खाता। इससे चीन तनाव में है। इसके अलावा अमेरिका लगातार नेपाल के साथ सैन्य समझौता करने की कोशिश कर रहा है। नेपाल में चिंता है कि चीन ने दो चेक पोस्ट तातोपानी और केरुंग को बंद कर दिया है।
प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष से की मुलाकात
नेपाल की तीन दिवसीय यात्रा पर आए ली झांशु ने सोमवार को प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष अग्नि प्रसाद सपकोटा से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थायी समिति के अध्यक्ष ली, अध्यक्ष सपकोटा के निमंत्रण पर सोमवार को तीन दिवसीय यात्रा पर नेपाल पहुंचे थे। सूत्रों के मुताबिक, दोनों नेताओं ने नया बनेश्वर में स्थित संसद भवन में प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की। इसके बाद नेपाल की संघीय संसद और चीन की पीपुल्स कांग्रेस के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के दौरान, दोनों नेताओं ने नेपाल और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों और सहयोग की उत्कृष्ट स्थिति पर खुशी व्यक्त की और आपसी हितों के विभिन्न मामलों पर चर्चा की है।
विज्ञप्ति में कहा गया है, 'अध्यक्ष सपकोटा ने क्षेत्र में चीन के खिलाफ किसी भी गतिविधि की अनुमति नहीं देने की नेपाल की प्रतिबद्धता को दोहराया है।' वहीं ली ने नेपाल की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए चीन का निरंतर समर्थन व्यक्त किया। सपकोटा ने नेपाल को विकसित करने के प्रयास के लिए उदार समर्थन और सहयोग के लिए चीन की जनता और सरकार की सराहना की और महामारी के बाद नेपाल की अन्य विकास प्राथमिकताओं के लिए चीन से समर्थन के स्तर में वृद्धि की आशा व्यक्त की। मंत्रालय के अनुसार, सपकोटा ने कहा कि नेपाल के लोग और सरकार पर्याप्त मात्रा में चिकित्सा आपूर्ति, उपकरण और कोरोना रोधी वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए चीनी सरकार के आभारी हैं।
प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे ली
चीनी नेता ली झांशु 67 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसमें पीपुल्स कांग्रेस, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और चीनी विदेश मंत्रालय के अधिकारी शामिल हैं। सपकोटा ने चीनी नेता के साथ-साथ उनके प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के सम्मान में शाम के समय एक भोज की मेजबानी की। इसके अलावा, रात्रिभोज में प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और प्रमुख दलों के शीर्ष नेताओं के मौजूद रहने की संभावना है। नेपाल यात्रा के दौरान चीनी नेता ली राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी और प्रधानमंत्री देउबा से मुलाकात करेंगे। इसके अलावा वह नेशनल असेंबली के अध्यक्ष गणेश प्रसाद तिमिलसिना और विदेश मामलों के मंत्री नारायण खड़का से भी मुलाकात करेंगे।
वहीं पूर्व प्रधानमंत्री और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष के. पी. शर्मा ओली, और पूर्व प्रधानमंत्री और सीपीएन-माओवादी सेंटर के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' भी चीन के नेता के साथ अलग-अलग बैठक करेंगे। गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में चीन ने नेपाल को विभिन्न परियोजनाओं में निवेश करने के लिए 15 अरब रुपये की अनुदान सहायता देने का वादा किया था।