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'ड्रैगन' चाहता है मुद्दों का समाधान, चीन के बाजार तक होगी भारतीय कंपनियों की पहुंच?

भारत और चीन के बीच होने वाले व्यापार में सबसे बड़ा संकट व्यापार घाटा रहा है। अब चीन की तरफ से कहा गया है कि वो भारत की चिंताओं को स्वीकार करता है और समाधान चाहता है।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Updated on: May 10, 2024 21:19 IST
भारत-चीन संबंध (फाइल फोटो)- India TV Hindi
Image Source : FILE भारत-चीन संबंध (फाइल फोटो)

बीजिंग: भारत में चीन के नवनियुक्त राजदूत जू फेइहोंग ने बढ़ते व्यापार घाटे को लेकर भारत की चिंताओं को स्वीकार करते हुए कहा है कि चीन अधिक भारतीय कंपनियों को अपने बाजार में प्रवेश की सुविधा देकर इस मुद्दे का समाधान करने को तैयार है। वर्षों से भारत के लिए चिंता का विषय रहा व्यापार घाटा वर्ष 2023 में 99.2 अरब अमरीकी डॉलर हो गया जबकि चीन के साथ कुल द्विपक्षीय व्यापार 136.2 अरब डॉलर था। वर्ष 2022 में व्यापार घाटा पहली बार 100 अरब डॉलर से अधिक 101 अरब डॉलर रहा था। भारत इस संबंध में समय-समय पर चीन के साथ अपनी चिंता व्यक्त करता रहा है। भारत चीन पर दबाव डालता रहा है कि वह अपने प्रमुख निर्यात क्षमता वाले क्षेत्रों, अनाज के अलावा सूचना प्रौद्योगिकी, औषधि क्षेत्रों को भी भारतीय कंपनियों के लिए खोले। 

'भारत की चिंता समझता है चीन'

राजदूत के तौर पर अपना कार्यभार संभालने के लिए भारत रवाना होने से पहले फेइहोंग ने ‘पीटीआई-भाषा’ और चीन के ‘सीजीटीएन-टीवी’ के साथ बातचीत में चीन के इस रुख को दोहराया कि उसका ट्रेड सरप्लस हासिल करने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत के व्यापार घाटे के पीछे कई कारक हैं। चीन, भारत की चिंता को समझता है। हमारा कभी भी ट्रेड सरप्लस हासिल रखने का इरादा नहीं रहा है।’’ 

'खुला है चीनी बाजार'

फेइहोंग ने कहा, ‘‘चीनी बाजार भारत समेत सभी देशों के लिए खुला है। हमने भारतीय उत्पादों को खरीदने के लिए कई व्यापार प्रतिनिधिमंडल भारत भेजे हैं और हम चाहते हैं कि अधिक से अधिक बिक्री योग्य भारतीय उत्पाद चीनी बाजार में आएं। हम चीन अंतरराष्ट्रीय आयात एक्सपो, चीन-दक्षिण एशिया एक्सपो, कैंटन फेयर और अन्य मंचों पर भारत की भागीदारी के लिए अधिक सुविधा देने को तैयार हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘चीन भारतीय कंपनियों को चीन की बाजार मांगों को पूरा करने तथा वाणिज्यिक व व्यापार सहयोग की संभावनाओं का लाभ उठाने में भी मदद करने को तैयार है।’’ 

'यात्राएं द्विपक्षीय व्यापार के लिए अच्छी हैं'

फेइहोंग ने कहा, ‘‘पिछले साल भारत में चीनी राजनयिक मिशनों ने करीब 190000 वीजा जारी किए, जिनमें से 80 प्रतिशत से अधिक कारोबारी वीजा थे। दोनों तरफ से व्यावसायिक यात्राएं द्विपक्षीय व्यापार के लिए अच्छी हैं। हमें उम्मीद है कि भारत कारोबारी अवसरों के लिए भारत आने वाले चीनी व्यापारियों को और अधिक सुविधा प्रदान कर सकता है।’’ 

क्या कहते हैं आंकड़े 

गौरतलब है कि, पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव होने के बावजूद द्विपक्षीय व्यापार उच्च स्तर पर बना हुआ है। चीन के सीमा शुल्क विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल दोनों देशों के बीच कुल व्यापार बढ़कर 136.2 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। वहीं, इस साल की शुरुआत में भारत का व्यापार घाटा बढ़कर 99.2 अरब डॉलर हो गया, जो पिछले साल की तुलना में थोड़ा कम है। (भाषा) 

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