बीजिंग: चीन अमने मून मिशन को लेकर लगातार आगे बढ़ रहा है। चीन का ‘चांग ई-6’ मिशन चंद्रमा के सुदूरवर्ती हिस्से से नमूने लाया था। ‘चांग ई-6’ मिशन चांद से जो नमूने लाया है उसमें बेहद खास 'विशेषताएं' नजर आ रही हैं। वैज्ञानिकों की ओर से प्रकाशित एक शोध पत्र में यह जानकारी दी गई है। चीन के वैज्ञानिकों की एक टीम ने चंद्रमा के सुदूरवर्ती हिस्से से मिले नमूनों पर प्रकाशित अपने पहले शोध पत्र में कहा कि ‘चांग ई-6’ मिट्टी के नमूनों का घनत्व चंद्रमा के अन्य हिस्सों से प्राप्त नमूनों की तुलना में कम है।
‘चांग ई-6’ के नमूने में क्या है खास?
‘चांग ई-6’ नमूनों में ‘प्लेजियोक्लेज’ की मात्रा ‘चांग ई-5’ नमूनों की तुलना में अधिक है जबकि उनकी ‘ओलिवाइन’ की मात्रा काफी कम है। ‘प्लेजियोक्लेज’ पृथ्वी की पपड़ी में सबसे आम और प्रचुर खनिज है। ‘ओलिवाइन’ एक हरी चट्टान बनाने वाला खनिज है जो मुख्य रूप से गहरे रंग की आग्नेय चट्टानों में पाया जाता है। अध्ययन से यह भी पता चला है कि ‘चांग ई-6’ के के नमूने मुख्य रूप से बेसाल्ट, ब्रेक्सिया, एग्लूटिनेट, ग्लासेस और ल्यूकोक्रेट से बने हैं।
मौजूद हैं थोरियम, यूरेनियम और पोटेशियम जैसे तत्व
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी 'शिन्हुआ' की खबर के मुताबिक ‘चांग ई-6’ चंद्र नमूनों के भू-रासायनिक विश्लेषण से पता चला है कि नमूने में थोरियम, यूरेनियम और पोटेशियम जैसे सूक्ष्म तत्वों की मौजूदगी अपोलो मिशन और चांग ई-5 मिशन द्वारा प्राप्त नमूनों से काफी अलग है।
चीन ने शुरू किया था 53 दिनों का अभियान
चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन (CNSA) के मुताबिक इस वर्ष मई में चीन ने पहली बार चंद्रमा के सुदूरवर्ती हिस्से से नमूने जमा करने और उन्हें वैज्ञानिक अध्ययन के लिए पृथ्वी पर लाने के लिए 53 दिनों का चंद्र मिशन शुरू किया था। चीन का यह मिशन अपनी तरह का पहला सफल अभियान था। ‘चांग ई-6’ में चार चीजें एक ऑर्बिटर, एक लैंडर, एक एसेंडर और एक मॉड्यूल शामिल हैं। ‘चांग ई-6’ यान जून में चंद्रमा के सुदूर हिस्से से 1,935.3 ग्राम नमूने लेकर आया था।
चीन को क्या मिला
चांद के नमूनों का अध्ययन चीनी विज्ञान अकादमी की राष्ट्रीय खगोलीय ऑब्जर्वेटरी, चंद्र अन्वेषण एवं अंतरिक्ष इंजीनियरिंग केंद्र और बीजिंग अंतरिक्ष यान प्रणाली इंजीनियरिंग संस्थान के सदस्यों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। चीन के वैज्ञानिकों ने इस साल जुलाई में 2020 में चीन के ‘चांग ई-5’ मिशन के जरिए लाए गए चंद्रमा के मिट्टी के नमूनों का अध्ययन भी किया था। तब चीन को चंद्रमा की मिट्टी में पानी के अणु मिले थे। (भाषा)
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