Thursday, November 21, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. विदेश
  3. एशिया
  4. China Military Bases: दुनिया के 13 देशों पर चीन ने डाली गंदी निगाहें, अब फुल स्पीड में काम करेगा ड्रैगन! रिपोर्ट में हुए शॉकिंग खुलासे

China Military Bases: दुनिया के 13 देशों पर चीन ने डाली गंदी निगाहें, अब फुल स्पीड में काम करेगा ड्रैगन! रिपोर्ट में हुए शॉकिंग खुलासे

China Military Bases: पिछले एक साल में, चीनी अधिकारियों ने यह कहने से परहेज किया है कि उनका देश संयुक्त अरब अमीरात और कंबोडिया में सैन्य ठिकाने बना रहा है। अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जनरल और वाशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में चीन की इस योजना का खुलासा किया था।

Written By: Shilpa
Updated on: August 17, 2022 15:45 IST
China Military Bases in World- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV China Military Bases in World

Highlights

  • दुनिया के कई देशों में चीन के सैन्य ठिकाने
  • रणनीतिक तौर पर इस्तेमाल करेगा चीन
  • अफ्रीकी देशों के संसाधनों पर भी चीनी नजर

China Military Bases: चीन ने बहुत पहले ही पूरी दुनिया पर कब्जा करने की अपनी मंशा साफ कर दी थी और अब वो धीरे-धीरे अपने इस उद्देश्य की तरफ बढ़ रहा है। विभिन्न देशों में सैन्य अड्डे बनाकर चीन ये साबित करने की कोशिश में है कि वह इस पूरी दुनिया में कितना ताकतवर है। अब उसकी नजरें अफ्रीका पर हैं। और सबसे बड़ी बात ये है कि सभी परिस्थितियां उसके अनुकूल हैं। अब अमेरिकी मैग्जीन फॉरन पॉलिसी ने कहा है कि चीन अब अफ्रीका सहित 13 देशों में अपने सैन्य अड्डे बनाने की तैयारी कर रहा है। वह कई सालों से ऐसा कर रहा है और अब वह जल्द से जल्द इनका इस्तेमाल करना चाहता है। 

अमेरिकी रक्षा विभाग की हालिया रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन अफ्रीका समेत 13 देशों को अपने सैन्य अड्डे के तौर पर देख रहा है। इन देशों में अंगोला, केन्या, सेशेल्स, तंजानिया, कंबोडिया और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। पिछले एक साल में, चीनी अधिकारियों ने यह कहने से परहेज किया है कि उनका देश संयुक्त अरब अमीरात और कंबोडिया में सैन्य ठिकाने बना रहा है। अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जनरल और वाशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में चीन की इस योजना का खुलासा किया था। लेकिन अधिकारियों ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। इस मामले पर चीन की चुप्पी यह बताने के लिए काफी है कि उसे अब इस बात की चिंता है कि दुनिया उसे किस नजर से देख रही है। उसे इस बात की चिंता है कि दुनिया उसकी सेना के आधुनिकीकरण और प्रगति को कैसे देखती है।

China Military Bases in World

Image Source : INDIA TV
China Military Bases in World

ऐतिहासिक मिशन सार्वजनिक हुआ

साल 2004 में चीन के तत्कालीन राष्ट्रपति हु जिनताओ ने उस ऐतिहासिक मिशन को सार्वजनिक किया था, जिसके तहत पीएलए को वैश्विक भूमिका के लिए तैयार किया जाएगा। उन्होंने कहा था कि पीएलए को इस काबिल बनाना होगा कि वह विभिन्न सैन्य कार्य कर सके। इसके बाद साल 2011 में चीन ने अपने 35,000 नागरिकों को युद्धग्रस्त लीबिया से निकाला था। फिर 2013 में शी जिनपिंग राष्ट्रपति बने और उन्होंने बेल्ड एंड रोड जैसी बहु अरब डॉलर की परियोजना की घोषणा की थी। 2015 में चीन ने पहली बार रक्षा से संबंधित श्वेत पत्र जारी किया। इसमें पहली बार पीएलए को अहमियत दी गई। 2019 में जब श्वेत पत्र आया तो कहा गया कि पीएलए सक्रिय रूप से विदेशों में संसाधन बढ़ा रही है। पीएलए के शोधकर्ताओं ने लगातार इस बात पर शोध किया है कि विदेशों में ऐसी कौन सी सुविधाएं हैं, जो चीन के पक्ष में हो सकती हैं।

साल 2017 में जब चीन ने अफ्रीका के जिबूती में अपना पहला सैन्य अड्डा शुरू किया तो सभी की निगाहें चीन की चालों पर पड़ीं। यह उसका पहला ऐसा सैन्य अड्डा था जो किसी दूसरे देश में था। पिछले साल उसने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में भारी निवेश की घोषणा के साथ एक और सैन्य अड्डा बनाने का संकेत दिया था। इसके साथ ही इस साल कंबोडिया में भी निवेश के बहाने इसी तरह के सैन्य अड्डे की ओर इशारा किया गया है। पिछले साल, सेनेगल के डकार में चीन-अफ्रीका सहयोग लक्ष्य 2015 शीर्षक से एक दस्तावेज जारी किया गया था। इस दस्तावेज में, चीन ने सैन्य अड्डे का उल्लेख नहीं किया। साल 2018 में चीन ने फिर से चीन-अफ्रीका रक्षा और सुरक्षा मंच की शुरुआत की। इसके जरिए चीन ने 'शांति' पर जोर दिया और अगले एक साल तक इस दिशा में काम करने का वादा किया। अगर हम पश्चिम अफ्रीका को देखें, तो इक्वेटोरियल गिनी में जो संसाधन हैं, वह शायद जिबूती में भी नहीं हैं।

China Military Bases in World

Image Source : INDIA TV
China Military Bases in World

इक्वेटोरियल गिनी से 34 फीसदी निर्यात

कंबोडिया की तरह इक्वेटोरियल गिनी निर्यात के लिहाज से भी सही है। यहां से चीन को 34 फीसदी निर्यात होता है। हाल के दिनों में गुनिया पर चीनी निर्यात बढ़कर जीडीपी का 49.7 फीसदी हो गया था। इस जगह से पीएलए अटलांटिक महासागर तक पहुंच सकती है और उसके फिक्स्ड-विंग वाले विमान को भी आसानी से उतरने के लिए हवाई क्षेत्र मिल सकता है। अमेरिका के अफ्रीका कमांड के प्रमुख रहे जनरल स्टीफन टाउनसेंड ने कांग्रेस को बताया कि अटलांटिक में कोई भी बेस चीनी सेना को अमेरिकी धरती के बहुत करीब ले आएगा।

गिनी में तीन ऐसे एयरफील्ड हैं, जो चीनी वायुसेना के लिए मददगार साबित हो सकते हैं। उनमें से एक बाटा बंदरगाह के करीब है। बाटा के अलावा मलाबू बंदरगाह सैन्य उद्देश्यों के लिए चीन के हर सपने को पूरा कर सकता है, जो दुनिया पर उसके नियंत्रण से जुड़ा है। 2006 में एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बैंक ऑफ चाइना ने बाटा बंदरगाह के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता दी थी। यह निर्माण चीन की सरकारी संचार निर्माण कंपनी फर्स्ट हार्बर इंजीनियरिंग ने साल 2014 में किया था। इसके बाद एक अन्य सरकारी कंपनी चाइना रोड एंड ब्रिज कॉर्प ने भी बंदरगाह पर कुछ निर्माण कार्य किया। विशेषज्ञ अब इस क्षेत्र में चीन के अगले कदम का इंतजार कर रहे हैं।

Latest World News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Asia News in Hindi के लिए क्लिक करें विदेश सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement