Friday, November 22, 2024
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मालदीव को चीन दिखा रहा ब्लू इकोनॉमी के सपने, जानिए क्या है ये? जिनपिंग-मोइज्जू ने किए 20 समझौते

भारत विरोधी रुख रखने वाले मालदीव के राष्ट्रपति ने चीन में अपने समकक्ष शी जिनपिंग से मुलाकात की। इस दौरान 20 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। इस दौरान जिनपिंग ने मोइज्जू को 'ब्लू इकोनॉमी' के सपने दिखाए। इस मुलाकात और यात्रा पर भारत की बारीक नजर है।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published on: January 11, 2024 12:43 IST
मालदीव को चीन दिखा रहा ब्लू इकोनॉमी के सपने- India TV Hindi
Image Source : REUTERS मालदीव को चीन दिखा रहा ब्लू इकोनॉमी के सपने

Maldives-China: भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू चीन की आधिकारिक यात्रा पर हैं। चीन के करीबी मोइज्जू ने वहां चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान दोनों देशों में 20 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। भारत के दुश्मन चीन और भारत के विरोधी मोइज्जू के बीच इन समझौतों के साथ ही जिनपिंग का देश मालदीव को भारत से दूर और अपने करीब करने के लिए ब्लू इकोनॉमी के सपने दिखा रहा है। हम बताएंगे कि यह ब्लू इकोनॉमी क्या है, जिसका प्रलोभन चीन मालदीव को दे रहा है। 

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बुधवार को मालदीव के अपने समकक्ष मोहम्मद मोइज्जू के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। दोनों देशों ने पर्यटन के क्षेत्र में सहयोग सहित 20 प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर किए और द्विपक्षीय संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाने की घोषणा की। चीन और मालदीव के बीच जिन 20 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं, उनमें ब्लू-इकोनॉमी और बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव भी शामिल हैं।

मालदीव और चीन के बीच व्यापार असंतुलन बेहद ज्यादा

चीन-मालदीव द्विपक्षीय व्यापार 2022 में कुल मिलाकर 451.29 मिलियन अमेरिकी डॉलर था, जिसमें मालदीव से 60,000 अमेरिकी डॉलर के निर्यात के मुकाबले चीन का निर्यात 451.29 मिलियन अमेरिकी डॉलर था। चीन ने गत दिसंबर के दूसरे सप्ताह में दूसरी चाइना-इंडियन ओशन रीजन फोरम मीटिंग का आयोजन किया था, जिसमें उसने हिंद महासागर में अपनी ब्लू-इकोनॉमी स्ट्रेटजी का खाका खींचा था. इस बैठक में मालदीव भी शामिल था।

जानिए क्या है ब्लू इकोनॉमी?

भारत के लिए इसका महत्व ब्लू-इकोनॉमी का मतलब समुद्र आधारित अर्थव्यवस्था या समुद्री संसाधनों के उचित उपयोग से है। उदाहरण के लिए, समुद्र और महासागरों में शिपिंग (जहाजों के जरिए समुद्री व्यापार), फिशिंग (मत्स्य या मछली उद्योग), तेल, गैस, खनिज और खनन, बंदरगाह गतिविधियां और पर्यटन जैसे उद्योगों की संभावनाएं हैं। किसी भी देश और उसके तटीय राज्यों के पास ब्लू-इकोनॉमी के जरिए खुद को विकसित करने का एक बड़ा मौका होता है। भारत सरकार द्वारा जारी 'न्यू इंडिया विजन' में ब्लू-इकोनॉमी को 10 प्रमुख आयामों में से एक बताया गया है।

हिंद महासागर में चीन की ब्लू-इकोनॉमी स्ट्रेटजी क्या है? 

चीन की हिंद महासागर तक सीधी पहुंच नहीं है, जो कि हिंद-प्रशांत का एक प्रमुख हिस्सा है। यह रणनीतिक भू-राजनीतिक महत्व का क्षेत्र है। भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ, उस क्वाड का हिस्सा है जो क्षेत्र में चीन के आधिपत्य के सामने एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए काम कर रहा है। हिंद महासागर में स्थित होने के कारण मालदीव भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। भारत के समुद्री सीमा के पड़ोस में स्थित मालदीव में चीन की रणनीतिक पैठ बढ़ी है। मालदीव दक्षिण एशिया में चीन के 'स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स' (एक भू-राजनीतिक परिकल्पना है) में एक महत्वपूर्ण सदस्य के रूप में उभरा है। भारत को मालदीव के साथ चीन की बढ़ती नजदीकियों पर ध्यान देना होगा। क्योंकि ​बीजिंग की नजर मालदीव के जरिए हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी पैठ जमाने और यहां मौजूद संसाधनों का दोहन करना है, जो ब्लू इकोनॉमी के अंतर्गत आते हैं। 

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