Highlights
- चीन का लक्ष्य अपनी मिसाइलों को मच 33 की गति से बनाने की प्रयास करनी है
- दुनिया की सभी मिसाइलें नतमस्तक हो जाएगी
- DF-17 नाम की हाइपरसोनिक एंटी-शिप मिसाइल है
World News: चीन अपनी मिसाइलों की गति बढ़ाने के लिए लगातार प्रयोग कर रहा है। चीनी इंजीनियर दिन-रात एक करने में लगे हुए हैं। कुछ समय पहले चीन ने सिचुआन प्रांत में एक हाई पावर विंड टनल का परिचालन किया था। यह पवन सुरंग पृथ्वी पर अत्यधिक उड़ान की स्थिति पैदा करने में सक्षम है। इस पवन सुरंग में हवा की गति 2.5 से 11.5 किलोमीटर प्रति सेकंड (1.55-7.14 मील प्रति घंटे), या मच 33 तक इसकी रेंज पहुंच सकती है यह पवन सुरंग पिछली सबसे बड़ी पवन सुरंग के आकार का लगभग डबल है। पवन सुरंग में तेज गति से हवा पास करके इंजन और वायुगतिकीय संरचना का परीक्षण किया जाता है।
अन्य ग्रहों पर उतरने के लिए किया जा सकता है डिजाइन
तुलना के लिए अंतरिक्ष से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने वाले अंतरिक्ष यान आम तौर पर सिर्फ 17,500 मील प्रति घंटे या मच 25 की गति तक पहुंचते हैं। ऐसी स्थिति में ये पवन सुरंगें न केवल हाइपरसोनिक हथियारों और वाहनों का परीक्षण करने में सक्षम होंगी बल्कि इससे बहुत मदद भी मिल सकती है। अंतरिक्ष यान को पृथ्वी पर लौटने से लेकर गुरुत्वाकर्षण से बचने और अन्य ग्रहों पर उतरने तक हर चीज के लिए डिज़ाइन किया जा सकता है।
अमेरिका और भारत के लिए खतरा
एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन का लक्ष्य अपनी मिसाइलों को मच 33 की गति से बनाने की प्रयास करनी है। इससे चीनी मिसाइलें 40 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की गति से लक्ष्य को भेद सकती है। इस मिसाइल में इतनी ताकत रहेंगी दुनिया की सभी मिसाइलें नतमस्तक हो जाएगी। दुनिया में अभी तक किसी भी हाइपरसोनिक मिसाइल को रोकने के लिए रक्षा प्रणाली नहीं बनाई गई है। ऐसे में चीन अगर 33 मच की रफ्तार हासिल कर लेता है तो वह अमेरिका और भारत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। चीन के पास पहले से ही DF-17 नाम की हाइपरसोनिक एंटी-शिप मिसाइल है।
1960 में ही आविष्कार कर लिया गया था
मियांयांग में चाइना एरोडायनामिक्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर के तहत हाइपरवेलोसिटी एरोडायनामिक्स इंस्टीट्यूट में एक टीम का नेतृत्व करने वाले लियू झिगुओ ने कहा कि "हमने दुनिया की सबसे बड़ी फ्री-पिस्टन संचालित विस्तार ट्यूब पवन सुरंग का निर्माण किया है।" अल्ट्रा-हाई-स्पीड सुरंगों को फ्री-पिस्टन संचालित सुरंग कहा जाता है। डिजाइन का आविष्कार 1960 के दशक में ऑस्ट्रेलियाई अंतरिक्ष इंजीनियर रेमंड स्टाकर द्वारा निर्मित हाइड्रोजन-संचालित पवन सुरंगों के विकल्प के रूप प्रयोग किया गया था