वाशिंगटन: अमेरिका की एक प्रभावशाली सांसद ने दावा किया है कि चीन हिंद महासागर के प्रमुख क्षेत्रों में अपनी पैठ बना रहा है और इस जल क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से आवागमन के अधिकार में बाधा डाल रहा है। उन्होंने साथ ही दक्षिण एशियाई देशों में चीन के बढ़ते निवेश पर भी चिंता जाहिर की। कांग्रेस की विदेश मामलों की समिति में हिंद-प्रशांत के मुद्दों से संबंधित उपसमिति की अध्यक्ष और अमेरिकी सांसद यंग किम ने कहा कि दक्षिण एशिया अमेरिकी विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
अमेरिका के सामने खड़ी हो सकती हैं चुनौतियां
किम ने कहा कि इस क्षेत्र में भू-राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव आ रहा है, जिससे अमेरिका के समक्ष कई चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं। वैश्विक व्यापार के लिए हिंद महासागर एक महत्वपूर्ण मार्ग है। 80 प्रतिशत समुद्री तेल व्यापार और 40 प्रतिशत विश्व व्यापार हिंद महासागर से ही होकर गुजरता है। उन्होंने कहा, ''चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) हिंद महासागर में महत्वपूर्ण मार्गों पर कब्जा कर रही है और इस जल क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से आवागमन के अधिकार में बाधा डाल रही है। हाल के वर्षों में हमने पाकिस्तान और श्रीलंका में चीन के बंदरगाहों, जिबूती में सैन्य प्रतिष्ठानों और मालदीव के बुनियादी ढांचे में चीन के निवेश को देखा है, जो अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक हितों तथा क्षेत्र में हमारे मित्रों और सहयोगियों के लिए खतरा बन रहा है।''
जारी है पनडुब्बियों और युद्धपोत का आवागमन
किम ने अमेरिकी संसद में मंगलवार को सत्र के दौरान कहा, ''पिछले महीने मेरी उपसमिति ने हिंद-प्रशांत बजट, दक्षिण चीन सागर तथा ताइवान जलडमरूमध्य पर चीन के आक्रमक रुख पर चर्चा की थी। सीसीपी भारत की नियंत्रण रेखा पर सीमा संघर्ष को भी बढ़ा रहा है और इसकी पनडुब्बियां और युद्धपोत नियमित रूप से हिंद महासागर में आवागमन कर रहे हैं।'' (भाषा)
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