चीन में कोरोना वायरस के खिलाफ लगाए गए प्रतिबंधों के खिलाफ जमकर घमासान होने के बाद अब सरकार ने ढील देने का फैसला लिया है। यहां दुनिया में सबसे कड़े प्रतिबंध लगाए गए थे। हालांकि लोगों के विरोध को बढ़ता देख सरकार अब इनमें ढील दे रही है। अधिकारियों का कहना है कि वायरस का नया वेरिएंट कमजोर है। अधिकारियों को हालांकि अभी यह स्पष्ट करना है कि ‘शून्य कोविड’ रणनीति को कब तक समाप्त किए जाने की संभावना है, जिसके चलते लाखों लोगों को उनके घरों तक सीमित रहना पड़ता है। इस नीति के विरोध में हाल में विरोध प्रदर्शन देखने को मिले हैं और कुछ लोगों ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग से इस्तीफे की भी मांग की है।
बीजिंग और कम से कम 16 अन्य शहरों में सोमवार को यात्रियों को महीनों में पहली बार पिछले 48 घंटों में वायरस परीक्षण के बिना बसों में सवार होने और सबवे में जाने की अनुमति दी गई थी। हांगकांग के पास ग्वांगझू सहित औद्योगिक केंद्रों ने बाजारों और व्यवसायों को फिर से खोल दिया है और संक्रमण वाले इलाकों को छोड़कर आवाजाही पर अधिकांश प्रतिबंध हटा दिए हैं। सरकार ने पिछले सप्ताह 70 साल से ज्यादा उम्र के लाखों लोगों को वैक्सीन लगाने की योजना की घोषणा की, “शून्य-कोविड” प्रतिबंधों को समाप्त करने की यह एक शर्त है। हालांकि इस नीति के कारण अधिकांश आगंतुकों ने चीन से बाहर रहना ही मुनासिब समझा और विनिर्माण और वैश्विक व्यापार भी बाधित हुआ है।
क्या खत्म होगी जीरो कोविड नीति?
इससे “शून्य कोविड” नीति के जल्द खत्म होने की उम्मीद है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों ने हालांकि चेतावनी दी है कि ऐसा होने में 2023 के मध्य और संभवत: 2024 तक समय लग सकता है, जब टीकाकरण की दर काफी होगी और अस्पताल संक्रमण के संभावित मामलों को संभालने के लिए तैयार होंगे। मॉर्गन स्टेनली के अर्थशास्त्री ने सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा, “चीन चीजों को तेजी से पटरी पर लाने के लिए अभी तैयार नहीं है। हम सुस्त रोकथाम उपायों की उम्मीद करते हैं।”