बीजिंग : चीन में कोरोना पूरी तरह से कहर बरपा रहा है। अस्पतालों में मरीजों को भर्ती के करने के लिए बेड तक खाली नहीं हैं। वहीं मरीजों के अस्पताल पहुंचने का सिलसिला भी जारी है। नतीजा ये है कि अस्पताल के गलियारों में मरीज पड़े हुए हैं। मरीज गलियारों में स्ट्रेचर या व्हीलचेयर पर बैठकर ऑक्सीजन ले रहे हैं। शहर के पूर्वी इलाके में स्थित चुइयांग्लु अस्पताल बृहस्पतिवार को नए मरीजों से भरा हुआ था। मध्याह्न तक अस्पताल में सभी बेड भर चुके थे लेकिन एम्बुलेंस से यहां मरीजों के पहुंचने का सिलसिला लगातार जारी था। अस्पताल के नर्स और डॉक्टर उन मरीजों की जानकारी लेने के लिये तत्काल आगे बढ़े जिन्हें चिकित्सा सहायता की बहुच जरूरत थी।
‘जीरो कोविड पॉलिसी’ हटाने के बाद बढ़ी मरीजों की संख्या
चीन के अस्पतालों में मरीजों की यह ‘बाढ़’ दरअसल करीब तीन सालों से चल रही उसकी ‘जीरो कोविड पॉलिसी’ के तहत लागू पाबंदियों को हटाने के बाद आई है। इन पाबंदियों के तहत लॉकडाउन चल रहा था, यात्राओं पर पाबंदी थी और स्कूल बंद थे। इनका अर्थव्यवस्था पर काफी दबाव था और इसके विरोध में लोग सड़कों पर प्रदर्शन के लिये भी उतरे थे। यूरोपीय संघ ने भी बुधवार को अपने सदस्य देशों को चीन से आने वाले यात्रियों के लिये कोविड-19 टेस्ट को लागू करने के लिये “प्रोत्साहित” किया है। पिछले एक हफ्ते में, यूरोपीय संघ के देशों ने चीन के यात्रियों पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं जो पूर्व प्रतिबद्धता का उल्लंघन करते हैं।
यूरोपीय संघ के फैसले से चीन भड़का
इटली यूरोपीय संघ का पहला देश था जिसने चीन से आने वाले एयरलाइन यात्रियों के लिए कोरोना वायरस टेस्ट को अनिवार्य किया था। फ्रांस और स्पेन ने हालांकि अपने स्वयं के उपायों का पालन किया। इसके बाद अमेरिका ने एक नियम लागू की कि चीन के सभी यात्रियों को प्रस्थान से पहले पिछले 48 घंटों पहले की निगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी। चीन ने चेतावनी दी कि अगर इस तरह की नीतियां संघ के सभी देशों में लागू की गईं तो वह 'जवाबी कार्रवाई' करेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टेड्रोस अधनोम घेब्रेयेसस ने बुधवार को कहा कि समूचे चीन में कोरोना वायरस के विस्फोटक प्रसार और सरकार के आंकड़ों की कमी के बीच एजेंसी ‘चीन में लोगों के जीवन के लिए मौजूदा खतरे को लेकर चिंतित’ है।