बीजिंग: चीन में कोरोना वायरस ने हाहाकार मचा रखा है। कोरोना की बेकाबू रफ्तार ने लाखों लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है। हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। चीन में दर्द और बुखार कम करनेवाली दवाएं जैसे इबूप्रोफेन और पैरासिटामोल आदि दवाओं की भारी किल्लत हो गई है। इस बीच मुश्किलों में बुरी तरह से घिरे चीन की मदद के लिए भारत ने हाथ बढ़ाया है। दर्द और बुखार की दवाएं भेजने के लिए भारत तैयार है।
चीन के हालात पर हमारी पूरी नजर - अरिंदम बागची
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हम चीन के हालात पर पूरी नजर बनाए हुए हैं। भारत फॉर्मेसी के क्षेत्र में हमेशा दुनिया की मदद करने में आगे रहा है। हालांकि चीनी दूतावास की ओर से इस मामले में अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। सूत्रों का कहना है कि चीन की ओर से भारतीय फॉर्मा कंपनियों से लगातार इन दवाओं को लेकर पूछताछ की जा रही है। इन दवाओं की मांग काफी बढ़ चुकी है।
प्रति ग्राहक को सिर्फ 6 टैबलेट
चीन में कोरोना पीड़ितों को बुखार की दवाएं नहीं मिल रही हैं। दर्द और बुखार की इन दवाओं की चीन में कितनी किल्लत हो गई है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वहां हर बीमार शख्स पर टैबलेट का कोटा तय कर दिया गया है। चीन कम्यूनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक चीन के नामजिंग में इबूप्रोफेन दवा की किल्लत के मद्देनजर एक ग्राहक को इस के 6 टैबलेट ही दिए जा सकते हैं।
अस्पताल और श्मशान फुल
चीन में सख्त जीरो कोविड पॉलिसी को वापस लिये जाने के बाद संक्रमण के मामलों में भारी वृद्धि हुई और लोगों की बड़ी संख्या में मौत भी हुई है। चीन के अस्पताल फुल और श्मशानों में चिताओं की लंबी कतार लगी हुई है। ‘द इकोनॉमिस्ट’ में प्रकाशित हाल की एक रिपोर्ट के अनुसार, लोगों के संक्रमित होने की दर और अन्य परिस्थितियों के अध्ययन के आधार पर लगभग 15 लाख चीनी नागरिकों की मौत की आशंका जतायी गयी है। ये आंकड़े अन्य हालिया आंकड़ों से भी मेल खाते हैं, जिनमें ‘द लांसेट’ पत्रिका की पिछले सप्ताह की एक रिपोर्ट भी शामिल है। इन आंकड़ों से संकेत मिलता है कि चीन में पाबंदियों में ढील दिये जाने के बाद कोरोना वायरस संक्रमण से 13 लाख से 21 लाख लोगों की मौत हो सकती है।