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चीन ने फिर की हिमाकत, पहाड़ और झील समेत अरुणाचल प्रदेश की 30 जगहों के बदले नाम

अरुणाचल प्रदेश को लेकर भारत के स्पष्ट रुख के बाद भी चीन अपनी चालाकियों पर कायम है। चीन ने अब अरुणाचल प्रदेश में 30 जगहों के नाम बदले हैं। चीन अरुणाचल प्रदेश को जांगनान कहता है।

Edited By: Amit Mishra
Published on: April 01, 2024 12:53 IST
Xi Jinping (फाइल फोटो)- India TV Hindi
Image Source : AP Xi Jinping (फाइल फोटो)

बीजिंग: चीन अपनी चालबाजियों से बाज आता हुआ नहीं दिख रहा है। अरुणाचल प्रदेश पर चीन बाद-बार बयान दे रहा है। भारत ने जब खरी-खरी सुनाई तो अब 'ड्रैगन' तिलमिलाया हुआ नजर आ रहा है। तिलमिलाया चीन अरुणाचल प्रदेश की कई जगहों का नाम कागजों पर बदलने में लगा है। ताजा हुए घटनाक्रम में बीजिंग ने अरुणचाल प्रदेश के अंदर 30 जगहों के नाम बदल दिए हैं। चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने इसे लेकर सूची भी जारी की है। चीन अरुणाचल प्रदेश को जांगनान कहता है और इसे तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र का हिस्सा बताता है।

चीन की पुरानी चाल 

गौरतलब है कि, पिछले 7 सालों में ऐसा चौथी बार हुआ है जब चीन ने अरुणाचल की जगहों का नाम बदला हो। चीन ने अप्रैल 2023 में अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों के नाम बदल दिए थे। चीन ने पिछले 5 साल में तीसरी बार ऐसा किया था। इसके पहले 2021 में चीन ने 15 जगहों और 2017 में 6 जगहों के नाम बदले थे।

पहाड़ और झील का बदला नाम

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, चीनी नागरिक मंत्रालय की तरफ से कहा गया है , "भौगोलिक नामों के प्रबंधन पर स्टेट काउंसिल (चीनी कैबिनेट) के प्रासंगिग प्रावधानों के अनुसार, हमने संबंधित विभागों के साथ मिलकर चीन के जांगनान (अरुणाचल प्रदेश) में कुछ भौगोलिक नामों को मानकीकृत किया है।" रिपोर्ट के अनुसार, जिन जगहों के नाम बदले गए हैं, उनमें अरुणाचल प्रदेश में मौजूद 11 जिले, 12 पहाड़, एक झील, एक पहाड़ी दर्रा और जमीन का एक हिस्सा शामिल है। इन सभी जगहों को तिब्बती स्क्रिप्ट में चीनी अक्षरों के जरिए दिखाया गया है।

पीएम मोदी का अरुणाचल दौरा 

अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा जताने के लिए चीन के हालिया बयानों की शुरुआत पीएम नरेंद्र मोदी के अरुणाचल दौरे के बाद शुरू हुई है।  पीएम मोदी ने कुछ महीनों पहले अरुणाचल प्रदेश में 13,000 फीट की ऊंचाई पर बनी सेला सुरंग को राष्ट्र को समर्पित किया था। यह सुरंग रणनीतिक रूप से स्थित तवांग को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। माना जा रहा है कि इससे सीमा वाले क्षेत्रों में भारतीय सैनिकों की बेहतर आवाजाही भी सुनिश्चित होगी।

भारत की दो टूक 

अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन की ये हरकत पहली बार नहीं है। इसके पहले बीते मार्च में बीजिंग ने अरुणाचल प्रदेश को लेकर दावा किया था, जिसे नई दिल्ली ने बेतुका और आधारहीन बताते हुए खारिज कर दिया था। भारत के रुख को दोहराते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है। यह एक ऐसा तथ्य है जो चीन के लगातार दावे के बावजूद अपरिवर्तनीय है। जायसवाल ने कहा था कि "अरुणाचल प्रदेश पर हमने बार-बार हमारी स्थिति स्पष्ट की है। चीन अपने बेबुनियाद दावों को जितनी बार चाहे दोहरा सकता है। उससे भारत की स्थिति बदलने वाली नहीं है। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा।" 

चीन का 'बेतुका' दावा

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी चीन के दावे को बेतुका बताते हुए कहा था कि अरुणाचल प्रदेश स्वाभाविक रूप से भारत का हिस्सा है। सिंगापुर में जयशंकर ने कहा था, "यह कोई नया मुद्दा नहीं है। मेरा मतलब है कि चीन ने दावा किया है, वह अपने दावे को दोहरा रहा है। ये दावे शुरू से ही हास्यास्पद हैं और आज भी हास्यास्पद बने हुए हैं। मुझे लगता है कि हम इस पर बहुत स्पष्ट, बहुत सुसंगत रहे हैं।"

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