China-Taiwan: चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। आए दिन वह ताइवान के इलाके में घुसपैठ की कोशिश करता है। साथ ही ताइवान को धमकाता भी है। ताइवान ने चीन की इस कारस्तानी की कई बार दुनिया के बड़े देशों और यूएन से शिकायत भी की है। लेकिन चीन है कि मानता नहीं है। वह ताजा मामले में ताइवान के इलाके में एक बार फिर चीनी विमानों की घुसपैठ की खबर है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बुधवार को एक बार फिर चीन ने ताइवान में घुसपैठ की कोशिश की। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने जानकारी देते हुए कहा कि उसने बुधवार सुबह अपने वायु रक्षा क्षेत्र में 28 चीनी वायु सेना के विमानों को देखा। बीजिंग के द्वारा किए गए इस हरकत को ताइपे हमेशा से इसे नियमित उत्पीड़न कहता आ रहा है।
ताइवान को चीन हमेशा से अपने क्षेत्र के रूप में देखता है। हाल के वर्षों में ताइवान ने द्वीप के पास चीनी सैन्य गतिविधियों में बढ़ोतरी की शिकायत की है। बीजिंग बार-बार इस क्षेत्र पर अपनी संप्रभुता के दावों पर जोर देना चाहता है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, स्थानीय समयानुसार मंगलवार सुबह लगभग 6 बजे चीनी लड़ाकू विमान द्वीप के दक्षिण-पश्चिम कोने में वायु रक्षा पहचान क्षेत्र और ADIZ में दिखाई दिए। मंत्रालय ने कहा कि कुछ चीनी विमानों ने प्रशांत क्षेत्र में चीनी विमानवाहक पोत शेडोंग के साथ अभ्यास करने के लिए बाशी चैनल को पार किया।
ताइवान और चीन के बीच बना हुआ है तनाव
ताइवान के उपराष्ट्रपति ने कुछ समय पहले चीन का दौरा किया था। उसके बाद से चीन अमेरिका पर भी भड़का हुआ है। चीनी रक्षामंत्री ने कहा कि ताइवान पर डोरे डालकर चीन को काबू में रखने की अमेरिका की कोशिश सफल नहीं होने वाली है। वैसे तो चीन ताइवान मामले में अमेरिका से पहले से ही खफा है। लेकिन, विलियम लाई, ताइवान के उपराष्ट्रपति हैं और आगामी राष्ट्रपति चुनाव में ताइवान के राष्ट्रपति बनने की रेस में प्रमुख उम्मीदवार हैं। विलियम लाई पराग्वे जाते हुए अमेरिका रुके थे। तभी से चीन भड़का हुआ है। चीन ने विलियम लाई को लेकर कहा है कि वह बार-बार परेशानी खड़ी करते हैं।
ताइवान को अपना स्वायत्त हिस्सा मानता है चीन
चीन हमेशा से ही ताइवान को एक अलग देश नहीं, बल्कि अपने ही देश का एक स्वायत्त हिस्सा मानता रहा है। वो ताइवान को अपना एक प्रांत बताता है और दुनिया से यह कहता है कि 'वन चाइना पॉलिसी' को सभी मानें। यही वन चाइना पॉलिसी है। चीन का मानना है जो देश ताइवान के साथ कूटनीतिक रिलेशन रखना चाहते हैं उन्हें रिपब्लिक ऑफ चाइना से सम्बंध तोड़ने होंगे।
ताइवान को चीन मानता है अपने अधिकार क्षेत्र में
सामान्य शब्दों में कहें तो वन चाइना पॉलिसी का मतलब चीन की एक ऐसी नीति से है, जिसके मुताबिक 'चीन' नाम का सिर्फ एक ही राष्ट्र है और ताइवान कोई अलग देश नहीं, बल्कि चीन का ही एक प्रांत है। चीन का मानना है कि ताइवान भी हांगकांग और मकाऊ की तरह चीन के अधिकार क्षेत्र में आता है, लेकिन ताइवान और चीन के बीच झगड़ा इस बात का है कि ताइवान चीन की इस नीति को नहीं मानता है और स्वयं को स्वतंत्र घोषित करता है। जब ताइवान इस बात पर आनाकानी करता है तो चीन उसे धमकाता है और हवाई क्षेत्र में विमान भेजकर डराता है।