बीजिंगः चीन अब यह मानने पर विवश हो गया है कि उसके प्रमुख दुश्मन पहले से कई गुना ज्यादा ताकतवर हो गए हैं। ऐसे में बीजिंग को लगने लगा है कि अब मौजूदा दौर में अपने प्रमुख ताकतवर दुश्मनों से निपट पाना आसान नहीं है। मगर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग हर हाल में अपने दुश्मनों को हराना चाहते हैं। लिहाजा किसी भी परिस्थिति में दुश्मनों पर जीत की चाहत में चीन ने युद्ध के पुराने सिद्धांतों को भी बदल दिया है। चीन ने इसके लिए एक नया सिद्धांत बनाया है।
चीन के एक शीर्ष रक्षा अधिकारी ने कहा है कि स्थानीय युद्ध जीतने के अपने दशकों पुराने सिद्धांत से हटकर चीनी सेना अब ‘‘ताकतवर दुश्मनों और विरोधियों’’ के खिलाफ युद्ध जीतने पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है। यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब चीन, अमेरिका, भारत सहित कई अन्य मोर्चों पर चुनौतियों का सामना कर रहा है। केंद्रीय सैन्य आयोग के सदस्य मियाओ हुआ ने कहा, ‘‘नई यात्रा में, हमें .ताकतवर दुश्मनों और विरोधियों को हराने के लिए क्षमताओं को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।’’
चीनी राष्ट्रपति ने अपनी सेना को दिया नया निर्देश
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी सेना को देश की संप्रभुता और विकास हितों की रक्षा के लिए रणनीतिक क्षमता में सुधार करने का भी निर्देश दिया है। माओत्से तुंग युग के बाद देश का पुनर्निर्माण करने वाले शीर्ष नेता और आधुनिक चीन के वास्तुकार के रूप में जाने जाने वाले डेंग जियाओपिंग की 120वीं जयंती का जश्न मनाते हुए चिनफिंग ने न केवल सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी और देश के लिए उनके योगदान की प्रशंसा की, बल्कि आधुनिक सेना तैयार करने के उनके दृष्टिकोण पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी याद किया कि डेंग ने चीनी सेना पीएलए को एक मजबूत, आधुनिक और सुसंगठित बल बनाने तथा कम लेकिन बेहतर सैनिक रखने की आवश्यकता को रेखांकित किया था। (भाषा)
कौन है चीन का दुश्मन नंबर 1
वैसे तो चीन के भारत, अमेरिका, फिलीपींस, वियतनाम, ताइवान समेत कई दुश्मन हैं। मगर वह अब भी भारत और अमेरिका को ही दुश्मन नंबर 1 मानता है। चीन को अब लगने लगा है कि भारत और अमेरिका की सैन्य ताकत कई गुना बढ़ गई है। ऐसे में खासककर इन दोनों से पार पानाा चीन के लेए आासान नहीं होगा। चीन जानता है कि सिर्फ एलएसी बॉर्डर पर ही नहीं, बल्कि भारत उसके लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र से लेकर दक्षिण चीन सागर तक खतरा बनेगा। इसी तरह उसे अमेरिका से भी धरती से आसमान तक प्रतिद्वंदिता से खतरा महसूस हो रहा है। इसलिए चीन ने युद्ध के अपने पुराने सिद्धांतों को बदलने का फैसला किया है। इसके तहत अब उसका एक मात्र लक्ष्य दुश्मन को किसी भी तरह मात देने पर होगा। इसमें कई नियम-कानून ताख पर रखे जा सकते हैं।
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