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UNSC Permanent Membership: क्या चीन के विरोध के बावजूद भारत बन सकता है UNSC का स्थाई सदस्य, जानें एक्सपर्ट व्यू

UNSC Permanent Membership: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत को स्थाई सदस्य बनाए जाने के पक्ष में कई वर्षों से माहौल बनता रहा है। हर बार अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस भारत की स्थाई सदस्यता का समर्थन करते हैं। मगर चीन अड़ंगा लगा देता है।

Written By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Sep 23, 2022 13:50 IST, Updated : Sep 23, 2022 14:59 IST
UNSC
Image Source : INDIA TV UNSC

Highlights

  • UNSC का स्थाई सदस्य होने के लिए भारत का दावा सबसे मजबूत
  • सिर्फ चीन कर रहा भारत की स्थाई सदस्यता का विरोध
  • UNSC के चार सदस्य भारत को स्थाई सदस्यता दिए जाने के पक्ष में

UNSC Permanent Membership: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत को स्थाई सदस्य बनाए जाने के पक्ष में कई वर्षों से माहौल बनता रहा है। हर बार अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस भारत की स्थाई सदस्यता का समर्थन करते हैं। मगर चीन अड़ंगा लगा देता है। इस बार भी अमेरिका समेत यूएनएसी के अन्य सदस्य देशों ने भारत को स्थाई सदस्य बनाए जाने का प्रस्ताव पेश किया है, लेकिन चीन इसके विरोध में है। यूएनएसी में स्थाई सदस्यता की ऐसी कौन सी शर्त है, जिससे सिर्फ एक देश के विरोध करने पर भारत को इसमें जगह नहीं मिल पा रही है। यदि चीन हमेशा भारत का विरोध यूं ही करता रहा तो क्या अपना देश कभी भी यूएनएससी का सदस्य नहीं बन पाएगा?

यूएनएससी के अन्य चार देशों के पास क्या इतनी पॉवर नहीं है कि वह चीन के विरोध के बावजूद भारत को स्थाई सदस्य बना सकें?... क्या सिर्फ एक देश को इतनी अधिक पॉवर है कि उसके विरोध पर भारत को स्थाई सदस्यता नहीं मिल पा रही। बाकी के अन्य चार देशों को इतनी पॉवर क्यों नहीं है कि वह चीन के विरोध के बावजूद भारत को यूएनएससी में शामिल करवा सकें। इसके पीछे क्या मजबूरी है और भारत के लिए आगे की संभावनाएं क्या हैं... जानें इस पर रक्षा विशेषज्ञों की राय।

UNSC Permanent Members

Image Source : INDIA TV
UNSC Permanent Members

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद क्या है

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य होने के लिए अनिवार्य शर्तों को जानने से पहले यह समझ लें कि यूएनएससी है क्या और इसके गठन की जरूरत कब और क्यों पड़ी?... दरअसल द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया भर में शांति और सुरक्षा कायम करने के मकसद से इस परिषद का गठन वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा किया गया। द्वितीय विश्व युद्ध 1939 से 1945 तक चला था। दुनिया के सर्वाधिक प्रभावशाली पांच देशों को इसका स्थाई सदस्य बनाया गया। इनमें अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और चीन शामिल हैं। इसके अतिरिक्त 10 अन्य देशों को रोटेशन के तौर पर दो-दो वर्षों के लिए अस्थाई सदस्यता दी जाती रहती है। इसका मुख्यालय न्यूयॉर्क में है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के छह प्रमुख अंग हैं

  • 1. संयुक्त राष्ट्र सचिवालय
  • 2. संयुक्त राष्ट्र जनरल एसेंबली (UNGA)
  • 3. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय
  • 4.संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC)
  • 5. संयुक्त राष्ट्र इकोनॉमिक एंड सोशल काउंसिल
  • 6. संयुक्त राष्ट्र ट्रस्टीशिप काउंसिल

मतदान शक्ति
यूएनएससी का निर्णय सभी मामलों में अनिवार्य है। इसके पांचों स्थाई सदस्य में से किसी एक की असहमति होने पर प्रस्ताव पारित नहीं होता। इसीलिए किसी भी प्रस्ताव के पक्ष में पांचों देशों का होना अनिवार्य हैं। यदि चार देश किसी एक प्रस्ताव में पक्ष हैं तो पांचवां देश इसमें अपना वीटो पॉवर लगाकर प्रस्ताव के विपक्ष में वोट कर देता है। ऐसे में प्रस्ताव गिर जाता है। यही शर्तें हर बार भारत को यूएनएससी में स्थाई सदस्य बनाने के मामले में भी लागू हो रही हैं। यहां अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन तो भारत के पक्ष में अपना मत देते हैं, लेकिन चीन हर बार वीटो पॉवर लगाकर इसे होने नहीं देता। वह भारत को स्थाई सदस्य नहीं बनने देना चाहता।

UNSC Permanent Membership Condition

Image Source : INDIA TV
UNSC Permanent Membership Condition

भारत की मौजूदा क्षमता

 

सेना से सेवानिवृत्त मेजर जनरल एस मेस्टन कहते हैं कि मौजूदा वक्त में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य होने के लिए मोटे तौर पर जो अनिवार्यता होनी चाहिए, उसमें भारत पूरी तरह फिट बैठता है। वह कहते हैं कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा सातवां देश है। आर्थिक दृष्टि से दुनियां की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत बड़ा लोकतांत्रित देश है। पूरी दुनिया में भारत की अच्छी छवि है। तकनीकी में भी भारत अब दक्षता हासिल कर रहा है। मिलिट्री पॉवर भी देश की स्ट्रांग हो गई है। जनसंख्या के मामले में भारत चीन के बाद दुनिया का दूसरा बड़ा देश है। अगले कुछ वर्षों में भारत की जनसंख्या दुनिया में सर्वाधिक हो जाएगी। इसलिए भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य होने का पूरा हकदार है।

क्यों नहीं मिल पा रही है स्थाई सदस्यता
यह विडंबना ही है कि यूएनएससी के पांच स्थाई सदस्यों अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और चीन में से चार देश भारत के समर्थन में हैं। बावजूद भारत को यूएनएससी का स्थाई सदस्य नहीं बनाया जा रहा। सिर्फ चीन भारत के विरोध में है। यूएएनएससी के प्रत्येक सदस्य को वीटो पॉवर प्राप्त है। इसके तहत यदि कोई एक देश किसी प्रस्ताव का विरोध कर दे तो वह यूएनएससी में पास नहीं हो सकता। चीन के विरोध के चलते ही भारत को स्थाई सदस्यता नहीं मिल पा रही।  

क्या है विकल्प
मेजर जनरल एस मेस्टन के अनुसार अगर चीन हर बार वीटो पावर लगा रहा है और अन्य चार देश जब भारत के पक्ष में हैं तो उन्हें वीटो पावर को फिर से मॉडीफाइ करना पड़ेगा। अगर दो से अधिक देश किसी प्रस्ताव के पक्ष में हों तो वहां वीटो पावर नहीं लगनी चाहिए। दूसरा यह कि इसके लिए यूनाइटेड नेशंस जनरल एसेंबली (UNGA) में प्रस्ताव लाया जाना चाहिए। जिसमें वोटिंग में दो तिहाई बहुमत से फैसला किया जाए तब भारत को स्थाई सदस्य बनाया जा सकता है।

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