विशेष प्रकार का मानव रहित विमान मिलने से भारतीय सेना की ताकत कई गुना बढ़ने वाली है।. इस मानव रहित हवाई यान (यूएवी) का नाम 'नागास्त्र' है, जो कि भारतीय सेना के लिए किसी "ब्रह्मास्त्र" से कम नहीं होगा। खास बात यह है कि नागपुर की एक भारतीय कंपनी को ही इसकी आपूर्ति करने का ठेका मिला है। नागास्त्र आने के बाद अपना कोई नुकसान किए बिना दुश्मनों को टार्गेट करना काफी आसान हो जाएगा। यह पाकिस्तान और चीन जैसे दुश्मनों के लिए किसी जहरीले नाग से कम नहीं होगा, जो उन्हें बीहड़ इलाकों में भी डंसने से नहीं चूकेगा।
सोलर इंडस्ट्रीज नागपुर ने शुक्रवार को कहा कि उसे भारतीय सेना को मानवरहित हवाई यान (यूएवी) 'नागास्त्र' की आपूर्ति का ठेका मिला है और इस तरह इजराइल तथा पोलैंड के प्रतिस्पर्धी उससे पीछे रह गए। कंपनी के एक अधिकारी ने कहा कि गोला-बारूद और रक्षा प्रणालियों में आत्मनिर्भरता लाने के लिए सरकार की पहल के साथ पहले स्वदेशी ‘लोइटर म्यूनिशन’ (एलएम), नागास्त्र-1 को सोलर इंडस्ट्रीज नागपुर की अनुषंगी इकोनॉमिक्स एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड (ईईएल) ने जेड-मोशन, बैंगलोर के सहयोग से डिजाइन और विकसित किया है।
75 फीसदी स्वदेशी है नागास्त्र
नयी दिल्ली में हाल में आयोजित सैन्य कमांडरों के सम्मेलन में 'नागास्त्र -1' का मॉडल प्रदर्शित किया गया था। कंपनी ने कहा कि 75 फीसदी से ज्यादा स्वदेशी सामग्री वाले ‘नागास्त्र-1’ में कई विश्वस्तरीय विशेषताएं हैं। सैन्य अभियानों में ड्रोन प्रौद्योगिकी काफी महत्वपूर्ण साबित हुई है और हाल के संघर्षों-खासकर आर्मेनिया-अजरबैजान, सीरिया, सऊदी अरब के तेल क्षेत्रों तथा रूस-यूक्रेन के मामले में इसका उपयोग काफी अहम रहा है। कंपनी के अधिकारी ने कहा, ‘‘हमारे संदर्भ में भी, सीमाओं पर हाल की घटनाओं में उत्तरी सीमा पर ड्रोन संबंधी घटनाओं में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।