ईरान में हिजाब के खिलाफ आंदोलन की अलग जगाने वाली कुर्दिश-ईरानी युवती महसा अमीनी को मरणोपरांत बड़े अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया। महसा अमीनी ने ईरान से लेकर दुनिया के सभी इस्लामिक और गैर इस्लामिक देशों की मुस्लिम महिलाओं के लिए आवाज उठाई थी। उन्हें हिजाब उतार फेंकने के लिए प्रेरित किया था। महसा अमीनी ने हिजाब को महिलाओं के लिए जबरन ढाया जाने वाला जुल्म बताया था। साथ ही इसे महिला की आजादी में बाधक बताया था। महसा को इसके बाद ईरान पुलिस ने हिरासत में ले लिया था, जहां युवती की मौत हो गई। इसके बाद आंदोलन ने ईरान में और तेजी पकड़ ली थी। दुनिया की अन्य मुस्लिम महिलाएं भी हिजाब के खिलाफ आवाज उठाने लगी थीं।
अब यूरोपीय संघ के शीर्ष मानवाधिकार पुरस्कार से बृहस्पतिवार को सम्मानित किया गया। अमीनी (22) की पिछले साल ईरान में पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी और इस घटना के बाद देश के रूढ़िवादी इस्लामी धर्मतंत्र के खिलाफ दुनियाभर में प्रदर्शन हुए थे। यूरोपीय संघ के इस पुरस्कार का नाम असंतुष्ट सोवियत नेता आंद्रेई सखारोव के नाम पर रखा गया था। इस पुरस्कार की शुरुआत 1988 में मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता की रक्षा करने वाले व्यक्तियों या समूहों को सम्मानित करने के लिए की गई थी।
पुरस्कार के लिए दावेदारों की लिस्ट थी लंबी
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता सखारोव का 1989 में निधन हो गया था। इस वर्ष इस पुरस्कार के दावेदारों में विल्मा नुनेज डी एस्कोर्सिया और रोमन कैथोलिक बिशप रोलैंडो अल्वारेज शामिल थे जिन्होंने निकारागुआ में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया था। इनके अलावा पोलैंड, अल सल्वाडोर और अमेरिका की तीन मएं भी शामिल थी जो ‘‘मुफ्त, सुरक्षित और कानूनी गर्भपात’’ के लिए लड़ाई का नेतृत्व कर रही हैं। पुरस्कार पाने वाले हकदारों की लिस्ट लंबी थी। मगर महसा अमीनी को सबसे उपयुक्त माना गया। (एपी)
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