America-china: ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच तनाव जगजाहिर है। यह तनाव और गहराता जा रहा है। पिछले साल अमरिकी प्रतिनिधि नैंसी पैलोसी ने चीन की धमकी के बावजूद ताइवान की यात्रा की थी, तो चीन काफी भड़क गया था। तब अमेरिका ने अपने जंगी जहाज ताइवान के करीब भेज दिए थे। वहीं चीन की सेना भी ताइवान के पास से मिसाइलें छोड़कर अपने गुस्से का इजहार कर रही थी। दरअसल, ताइवान चीन की दुखती रग है। अमेरिका किसी भी हालत में ताइवान पर चीन का कब्जा नहीं होने देना चाहता है। ऐसे में यदि ताइवान को लेकर यदि चीन और अमेरिका में जंग हो गई तो हिंद प्रशांत क्षेत्र जंग में तब्दील हो सकता है।
इसी बीच विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि यह तनाव आने वाले समय में जंग में बदल सकता है। ऐसे में 'फोर्ब्स' की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार ताइवान पर अमेरिका का चीन से हुआ युद्ध तो विस्फोटकों का जखीरा 1 हफ्ते में खत्म हो जाएगा।
चीन की बढ़ रही ताकत, पिछड़ रहे अमेरिकी विस्फोटक बनाने वाले कारखाने
इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि चीन के मुकाबले अमेरिका के हमला करने की ताकत में अंतर बहुत ही ज्यादा बढ़ता जा रहा है। इसकी वजह यह है कि चीन की विस्फोटक और प्रपेलन्ट बनाने की क्षमता काफी ज्यादा हो गई है और वहीं अमेरिका कारखाने इस मामले में पिछड़ते जा रहे हैं। यही नहीं चीन ने अब आरडीएक्स या एचएमएक्स से 40 फीसदी ज्यादा घातक विस्फोटक बना लिया है।
जंग की तैयारी में अमेरिका से ज्यादा तेजी दिखा रहा है चीन
अमेरिकी पत्रिका फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक यह CL-20 का उन्नत संस्करण है जिसका निर्माण 1980 के दशक में किया गया था। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने साल 2011 में CL-20 के समकक्ष का परीक्षण किया था। इसके बाद से लेकर अब तक चीन ने बहुत बड़े पैमाने पर इस विस्फोटक का निर्माण कर लिया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी सेना के ज्यादातर विस्फोटक अमेरिका के केवल एक प्लांट में होल्स्टोन में बनाए जाते हैं। इसमें दूसरे विश्वयुद्ध के समय के मिक्सिंग सिस्टम और प्रोडक्शन तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।
अमेरिका चीन से मंगाता है विस्फोटक के लिए केमिकल
रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका वर्तमान समय में मौजूद केमिकल के भंडार से एक साल में केवल 10 टन सीएल-20 तैयार कर सकता है। अमेरिका को व्यापक इस्तेमाल के लिए हर साल 1000 टन सीएल-20 की जरूरत होगी। इतने बड़े पैमाने पर सीएल-20 को विकसित करने में अमेरिका को 3 से लेकर 5 साल का समय लग जाएगा। फोर्ब्स ने यह भी कहा है कि अमेरिका सैन्य विस्फोटक बनाने के लिए जरूरी केमिकल के लिए चीन पर पूरी तरह से निर्भर है। करीब 6 केमिकल तो उसे चीन से मंगाना पड़ता है।
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