बांग्लादेश में कुछ महीने पहले हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद शेख हसीना को देश छोड़कर भारत आना पड़ा था। शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई था और अल्पसंख्यकों खास कर के हिंदुओं को निशाना बनाया गया था। बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद युनुस लंबे समय से स्थिति के सामान्य होने का दावा कर रहे हैं। इस बीच बांग्लादेश के छात्रों ने फिर से विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। अब छात्र संगठन ने मंगलवार को ढाका में प्रदर्शन किया है और राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन को पद से हटाने की मांग की है।
क्या मांग कर रहे छात्र?
कुछ ही महीने पहले बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले एक प्रमुख छात्र संगठन ने ढाका में प्रदर्शन किया और राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन को पद से हटाने की मांग की है। प्रदर्शनकारी छात्रों ने कहा कि राष्ट्रपति फासीवाद के सहयोगी हैं। वह नरसंहार के पक्षधर थे। हम उनके इस्तीफे की मांग करते हैं।
शेख हसीना के इस्तीफे में आया ट्विस्ट
दरअसल, बीते हफ्ते बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने बांग्ला दैनिक को एक इंटरव्यू दिया था। इस इंटरव्यू में राष्ट्रपति शहाबुद्दीन ने कहा था कि उनके पास इस बात का कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है कि अगस्त में छात्रों के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर हुए विरोध-प्रदर्शन के बीच शेख हसीना ने देश छोड़कर जाने से पहले प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
संविधान खत्म करने की मांग
मंगलवार को प्रदर्शनकारियों के समूह ने ढाका विश्वविद्यालय परिसर में धरना दिया और संविधान को खत्म कर के क्रांतिकारी सरकार’ के गठन का आह्वान किया गया। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति का इस्तीफा मांगा और शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग और उसके सहयोगियों की राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग की है। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास ‘बंगभवन’ की ओर मार्च भी किया है। (इनपुट: भाषा)
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