Bangladesh-Japan-India: चीन जो कि बांग्लादेश को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने की कोशिश करता है, उसे करारा झटका लगा है। चीन के दुश्मन और भारत के दोस्त जापान की मदद से बांग्लादेश का मातरबारी बंदरगाह विकसित किया जा रहा है। गहरे पानी का यह पोर्ट बड़े बड़े कार्गो शिप्स का भी नया ठिकाना बन सकता है। यह शुरू हुआ तो भारत के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है। वहीं चीन की नींद उड़ जाएगी। दरअसल, मातरबारी बंदरगाह से भारत को भी फायदा होगा। नेपाल को भी लाभ होगा और बांग्लादेश के तो देश में ही बन रहा है यह बंदरगाह। इस समीकरण से चीन की नींद उड़ना स्वाभाविक है। क्योंकि चीन भारत के पड़ोसी देशों को आर्थिक मदद देकर उन पर दबाव डालने की कोशिश करता है। लेकिन यह बंदरगाह डेवलप होने में जापान का हाथ है। यह बात चीन को हजम नहीं होगी।
क्या है जापान की प्लानिंग?
बांग्लादेश का मातरबारी बंदरगाह भारत के पूर्वोत्तर, खासकर त्रिपुरा के साथ-साथ चारों और से जमीन से घिरे नेपाल और भूटान के साथ भी कनेक्टिविटी का नया माध्यम बन सकता है। इस बंदरगाह पर जापान के सहयोग से तेजी से काम किया जा रहा है। जापान ने पिछले कुछ समय से भारत के पूर्वोत्तर के राज्यों में काफी ध्यान दिया है। जापान का पूरा फोकस इर क्षेत्र में एक इंटीग्रेटेड और उन्नत आपूर्ति श्रृंखला बनाने की है। जापान इसके जरिए पूर्वोत्तर में अपनी उपस्थिति बढ़ाने और निवेश को तेज करने की योजना बना रहा है।
जापान क्यों बना रहा बांग्लादेश में पोर्ट?
इंडिया नैरेटिव की रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में लगभग 350 जापानी कंपनियां बांग्लादेश में काम करती हैं। बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में स्थित मातरबारी बंदरगाह मुख्य रूप से बंगाल की खाड़ी के औद्योगिक विकास केंद्रों के तहत जापान इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन एजेंसी के जरिए डेवलप किया जा रहा है। जापान एक्सटर्नल ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (जेट्रो) के चीफ डायरेक्टर जनरल (साउथ एशिया) ताकाशी सुजुकी ने इंडिया नैरेटिव को बताया कि जापान एक-दूसरे की ताकत का लाभ उठाने और उसे आगे बढ़ाने के लिए भारत के पूर्वोत्तर और बांग्लादेश के बीच बेहतर कनेक्टिविटी चाहता है।
भारत-जापान के लिए कैसे गेमचेंजर होगा यह पोर्ट?
नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन (एनएमएफ) ने एक अध्ययन में कहा कि यह कनेक्टिविटी भारत और जापान के बीच बुनियादी ढांचे, पर्यटन, सांस्कृतिक एकीकरण सहित लॉजिस्टिक और ट्रेड सहित कई क्षेत्रों में सहयोग के नए रास्तों को खोलेगी। भारत के लिहाज से देखा जाए तो एक बार जब गहरे समुद्र का मातरबारी बंदरगाह चालू हो जाता है तो हल्दिया बंदरगाह के माध्यम से वर्तमान में व्यापार की जाने वाली बड़ी संख्या में वस्तुओं को यहां से एक्सपोर्ट किया जा सकेगा। इससे हल्दिया बंदरगाह का भार भी कम हो जाएगा।
चीन का बढ़ता प्रभाव होगा कम
यह परियोजना बांग्लादेश में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने में भारत की मदद भी करेगा। चीन बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के माध्यम से आक्रामक रूप से अपने प्रभाव को बढ़ा रहा है। एक विश्लेषक ने बताया कि मातरबारी बंदरगाह का रणनीतिक महत्व है। यह कनेक्टिविटी को बढ़ावा देगा लेकिन विशेष रूप से यह भारत और जापान दोनों को चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने का एक बड़ा अवसर देगा।