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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार अल्पसंख्यकों की सुरक्षा में नाकाम, मुहम्मद यूनुस पर लगे गंभीर आरोप

बांग्लादेश में हिंदुओं और दूसरे धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ लगातार हिंसा की घटनाएं हुई हैं। घटनाओं में आगजनी, तोड़फोड़, लूटपाट और संपत्ति और व्यवसायों पर जबरन कब्जा करना शामिल है।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Published : Jan 30, 2025 23:11 IST, Updated : Jan 30, 2025 23:35 IST
बांग्लादेश में हिंदू
Image Source : FILE AP बांग्लादेश में हिंदू

ढाका: बांग्लादेश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक अधिकार समूह ने बृहस्पतिवार को देश की अंतरिम सरकार पर धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों को हमलों और उत्पीड़न से बचाने में विफल रहने का आरोप लगाया, हालांकि सरकार ने इस दावे का खंडन किया है। ‘बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद’ ने कहा कि नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार अल्पसंख्यक समूहों को दबाने के लिए सरकारी संस्थानों का भी इस्तेमाल कर रही है। 

174 नई घटनाएं हुईं

परिषद ने पहले कहा था कि 4 से 20 अगस्त के बीच मुस्लिम बहुल देश में सांप्रदायिक हिंसा की 2,010 घटनाएं हुईं। वहीं, यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि ज्यादातर घटनाएं सांप्रदायिक कारणों से नहीं बल्कि ‘राजनीतिक कारणों’ से हुईं। बृहस्पतिवार को संवाददाता सम्मेलन में परिषद ने पूर्व में हुए हमलों के अपने दावे को दोहराया और कहा कि पिछले वर्ष 21 अगस्त से 31 दिसंबर के बीच सांप्रदायिक हिंसा की 174 नई घटनाएं हुईं, जिनमें अल्पसंख्यक समूहों के 23 सदस्य मारे गए और 9 महिलाओं से बलात्कार किया गया। इसने कहा कि अन्य घटनाओं में आगजनी, तोड़फोड़, लूटपाट और संपत्ति और व्यवसायों पर जबरन कब्जा करना शामिल था। 

इस्लाम के नाम पर हुई गिरफ्तारी

परिषद ने कहा कि अल्पसंख्यक समूहों के कम से कम 15 सदस्यों को इस्लाम को कमजोर करने के आरोप में या तो गिरफ्तार किया गया या उन्हें प्रताड़ित किया गया। परिषद के कार्यवाहक महासचिव मनिंद्र कुमार नाथ ने सरकार पर अल्पसंख्यक समूहों के लोगों को परेशान करने के लिए सरकारी संस्थानों में अपने लोगों को नियुक्त करने का आरोप लगाया। नाथ ने कहा कि कई अल्पसंख्यक नेता अपने खिलाफ झूठे आरोपों के कारण छिप गए हैं। अंतरिम सरकार ने कहा है कि उन पर विशेष आरोप हैं और उन्हें किसी सांप्रदायिक कारण से निशाना नहीं बनाया गया। 

बांग्लादेश में कितने हिंदू?

गौरतलब है कि, बांग्लादेश की 17 करोड़ आबादी में आठ प्रतिशत से भी कम हिंदू हैं। अंतरिम सरकार में कई लोग इस बात से नाखुश हैं कि भारत हसीना को शरण दे रहा है। उनके प्रत्यर्पण के लिए भारत से किया गया आधिकारिक अनुरोध अभी अनुत्तरित है। 

यूनुस ने पिछले साल छात्रों के नेतृत्व में हुए विद्रोह के बाद सत्ता संभाली थी, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारत में शरण लेनी पड़ी थी। इसके साथ ही उनके 15 साल का शासन खत्म हो गया था।(एपी)

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