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बांग्लादेश: शेख हसीना पर लगा जबरन लोगों को गायब करने का आरोप, जानें पूरा मामला

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना बड़े संकट में घिरती हुई नजर आ रही हैं। हसीना पर देश में जबरन लोगों को गायब करने का आरोप लगा है। अंतरिम सरकार के जांच आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट यह बात कही है।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Published : Dec 15, 2024 14:08 IST, Updated : Dec 15, 2024 14:08 IST
Sheikh Hasina- India TV Hindi
Image Source : AP Sheikh Hasina

ढाका: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा गठित एक जांच आयोग ने कहा है कि उसे लोगों को कथित रूप से गायब किए जाने की घटनाओं में अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके शासन के शीर्ष सैन्य एवं पुलिस अधिकारियों की संलिप्तता के साक्ष्य मिले हैं। इस पांच सदस्यीय आयोग ने मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस को शनिवार को ‘सत्य का खुलासा’ शीर्षक से अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंपी जिसके बाद यह बयान जारी किया गया। लोगों के लापता होने की घटनाओं की जांच के लिए गठित आयोग ने अनुमान लगाया है कि ऐसे मामलों की संख्या 3,500 से अधिक है। 

शामिल पाए गए कई अधिकारी

मुख्य सलाहकार के कार्यालय की प्रेस शाखा ने एक बयान में कहा, ‘‘आयोग को इस बात के सबूत मिले हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के निर्देश पर लोगों को गायब किया गया।’’ इसमें कहा गया है कि अपदस्थ प्रधानमंत्री के रक्षा सलाहकार मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) तारिक अहमद सिद्दीकी, राष्ट्रीय दूरसंचार निगरानी केंद्र के पूर्व महानिदेशक और बर्खास्त मेजर जनरल जियाउल अहसन, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मोनिरुल इस्लाम एवं मोहम्मद हारुन-ओर-रशीद और कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इन घटनाओं में शामिल पाए गए। सेना और पुलिस के ये सभी पूर्व अधिकारी फरार हैं। ऐसा माना जा रहा है कि वे छात्रों के नेतृत्व वाले विद्रोह के बाद पांच अगस्त को हसीना की अवामी लीग सरकार के सत्ता से बाहर होने के बाद देश से बाहर से चले गए थे। 

'सेना, नौसेना, वायु सेना और पुलिस के लोग शामिल'

बयान के अनुसार, आयोग के अध्यक्ष एवं उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मैनुल इस्लाम चौधरी ने यूनुस को बताया कि जांच के दौरान उन्हें अहम चीजों के बारे में पता चला। चौधरी ने कहा, ''लोगों को गायब करने या हत्या करने वाले व्यक्तियों को भी पीड़ितों की जानकारी नहीं होती थी।’’ रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस की विशिष्ट अपराध-विरोधी ‘रैपिड एक्शन बटालियन’ (आरएबी) और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसी ने लोगों को जबरन ले जाने, उन्हें प्रताड़ित करने और हिरासत में रखने की घटनाओं को अंजाम देने के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर काम किया। आरएबी में सेना, नौसेना, वायु सेना और पुलिस के लोग शामिल होते हैं। 

Bangladesh RAP

Image Source : AP
Bangladesh RAP

758 मामलों की हुई जांच

आयोग ने आतंकवाद रोधी अधिनियम, 2009 को खत्म करने या उसमें व्यापक संशोधन करने के साथ-साथ आरएबी को खत्म करने का प्रस्ताव भी रखा। मानवाधिकार कार्यकर्ता और आयोग के सदस्य सज्जाद हुसैन ने कहा कि उन्होंने इस तरह की घटनाओं के कारण लोगों के लापता होने की 1,676 शिकायतें दर्ज की हैं और अब तक उनमें से 758 मामलों की जांच की है। इनमें से 200 लोग या 27 प्रतिशत पीड़ित कभी वापस नहीं लौटे और जो वापस लौटे, उनमें से अधिकतर को रिकॉर्ड में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के तौर पर दिखाया गया है। आयोग में अध्यक्ष के अलावा न्यायमूर्ति फरीद अहमद शिबली, मानवाधिकार कार्यकर्ता नूर खान, निजी बीआरएसी विश्वविद्यालय की शिक्षिका नबीला इदरीस और मानवाधिकार कार्यकर्ता सज्जाद हुसैन भी शामिल हैं।

'मिले गुप्त हिरासत केंद्र'

इससे पहले, आयोग ने एक संवाददाता सम्मेलन में घोषणा की थी कि उसे ढाका और उसके बाहरी इलाकों में आठ गुप्त हिरासत केंद्र मिले हैं। आयोग के अध्यक्ष ने यूनुस को बताया कि वह मार्च में एक और अंतरिम रिपोर्ट पेश करेंगे। सभी आरोपों की जांच पूरी करने के लिए उन्हें कम से कम एक और वर्ष लगेगा। यूनुस ने कहा, ‘‘आप वास्तव में बहुत महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं। हम आपको हर तरह की सहायता देने के लिए तैयार हैं।’’ 

Muhammad Yunus

Image Source : AP
Muhammad Yunus

गुप्त हिरासत केंद्रों का दौरा करेंगे यूनुस 

टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर उन पीड़ितों के इंटरव्यू प्रसारित किए गए जिन्हें कथित रूप से गायब किया गया था। इन पीड़ितों में हसीना के शासन का सक्रिय रूप से विरोध करने वाले विपक्ष के कार्यकर्ता और पूर्व सैन्य अधिकारी शामिल हैं। यूनुस ने रिपोर्ट प्राप्त करते समय कहा कि वह कुछ संयुक्त पूछताछ कक्षों और गुप्त हिरासत केंद्रों का दौरा करेंगे क्योंकि वह पीड़ितों की पीड़ा के बारे में सीधे उन्हीं से जानकारी लेना चाहते हैं। रिपोर्ट में लोगों को गायब किए जाने की घटनाओं को अपराध घोषित करने के लिए एक नया कानून बनाने की मांग की गई है। (भाषा)

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