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उल्फा नेता पर भी मेहरबान हुई बांग्लादेश की अदालत, "भारत के मोस्ट वांटेड" को मिली उम्रकैद की सजा घटाई

बांग्लादेश की अदालत उल्फा नेताओं पर मेहरबान हो गई है। भारत के मोस्ट वांटेड उल्फा उग्रवादी को मिली उम्रकैद की सजा को हाईकोर्ट ने घटा दिया है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Jan 15, 2025 18:11 IST, Updated : Jan 15, 2025 18:11 IST
बांग्लादेश की अदालत।
Image Source : AP बांग्लादेश की अदालत।

ढाका: बांग्लादेश की अदालत पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के आरोपों में बरी करने के बाद अब उल्फा नेता पर भी मेहरबान हो गई।  उच्च न्यायालय ने देश के शस्त्र अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में उल्फा नेता परेश बरुआ की उम्रकैद की सजा को 14 साल की कैद में बदल दिया है, जबकि कई अन्य आरोपियों को बरी कर दिया है। जबकि खालिदा जिया को सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार के आरोपों में बरी करते हुए 10 साल की सजा को खत्म कर दिया। अटॉर्नी जनरल के ब्यूरो के एक अधिकारी ने बुधवार को बताया, “दो न्यायाधीशों की पीठ ने यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के फरार सैन्य कमांडर परेश बरुआ और चार बांग्लादेशियों की उम्रकैद की सजा में कटौती की है।”

बरुआ और बांग्लादेश के पूर्व गृह राज्य मंत्री लुतफुज्जमां बाबर, कई पूर्व सैन्य अधिकारियों, नागरिक अधिकारियों और निजी नागरिकों को असम में उल्फा के गुप्त ठिकानों पर 10 ट्रक हथियारों की तस्करी के कथित प्रयास से जुड़े दो आरोपों में 2014 में दोषी ठहराया गया था। बांग्लादेश उच्च न्यायालय ने पिछले साल 18 दिसंबर को मामले में बरुआ की मौत की सजा को कम कर उम्रकैद में तब्दील कर दिया था। बरुआ के बारे में माना जाता है कि वह अभी चीन में रह रहा है। उसे 2014 में उसकी गैरमौजूदगी में चलाए गए एक मुकदमे में मौत की सजा सुनाई गई थी।

भारत की मोस्ट वांटेड सूची में है बरुआ का नाम

भारत में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के ‘मोस्ट वांटेड’ व्यक्तियों की सूची में बरुआ का नाम भी शामिल है। अप्रैल 2004 में चट्टोग्राम (अब चटगांव) के रास्ते पूर्वोत्तर भारत में उल्फा के ठिकानों तक 10 ट्रक हथियार पहुंचाने के कुछ ‘प्रभावशाली हलकों’ के कथित प्रयासों को नाकाम कर दिया गया था। सुरक्षा एजेंसियों ने इन ट्रक पर लदे हथियार जब्त कर लिए थे, जिनमें 27,000 से अधिक ग्रेनेड, 150 रॉकेट लॉन्चर, 11 लाख से अधिक गोला-बारूद, 1,100 सब मशीन गन और 1.14 करोड़ गोलियां शामिल थीं। हथियारों की तस्करी के लिए विशेष शक्तियां अधिनियम 1974 के तहत एक मामला और अवैध रूप से हथियार रखने के लिए शस्त्र अधिनियम के तहत दूसरा मामला दर्ज किया गया था। (भाषा) 

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