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Armenia Azerbaijan: अजरबैजान और आर्मीनिया के बीच छिड़ी जंग! भीषण गोलीबारी के साथ तोप के गोलों से हुए हमले, सामने आया VIDEO, जानें पूरा मामला

Armenia Azerbaijan: अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने आरोप लगाया है कि वह सीमा पर दशकेसन, केलबाजार और लाचिन जिलों के पास "बड़े पैमाने पर विध्वंसक कृत्यों" को अजाम दे रहा है। अजरबैजान ने कहा कि उसकी कई सैन्य साइट आग की चपेट में आ गई हैं।

Written By: Shilpa
Updated on: September 13, 2022 15:07 IST
Armenia Azerbaijan War- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Armenia Azerbaijan War

Highlights

  • अजरबैजान और आर्मीनिया के बीच झड़प
  • नागोर्नो काराबाख को लेकर हो रही लड़ाई
  • दोनों तरफ सैनिकों की हुई मौत

Armenia Azerbaijan: आर्मीनिया के सैनिकों के साथ सीमा पर झड़प के चलते अजरबैजान के सैनिकों की मौत हो गई है। इन पूर्व सोवियत देशों के बीच विवादित क्षेत्र नागोर्नो काराबाख को लेकर दशकों से विवाद बना हुआ है। वैसे तो इन दोनों देशों के बीच दशकों से दुश्मनी है, लेकिन साल 2020 के आखिर से इस इलाके को लेकर जंग और तेज हो गई है। 2020 में हुई भीषण लड़ाई के बाद बीच-बीच में सीमा पर गोलीबारी की भी खबरें सामने आई हैं। आर्मीनिया के रक्षा मंत्री ने कहा है, 'रात के ठीक 12 बजे के बाद अजरबैजान ने तेज गोलीबारी की और तोप के गोले दागे। ये हमले गोरिस, सोटक और जर्मुकी शहरों की दिशा में आर्मीनिया सैन्य पोजीशन के खिलाफ किए गए थे।' ऐसा कहा जा रहा है कि अजरबैजान ने भी ड्रोन का इस्तेमाल किया है।

दूसरी ओर अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने आरोप लगाया है कि वह  सीमा पर दशकेसन, केलबाजार और लाचिन जिलों के पास "बड़े पैमाने पर विध्वंसक कृत्यों" को अजाम दे रहा है। अजरबैजान ने कहा कि उसकी कई सैन्य साइट आग की चपेट में आ गई हैं। आंकड़ा नहीं बताते हुए केवल इतना भी बताया कि सैनिकों की मौत हुई है। इससे पहले बीते हफ्ते आर्मीनिया ने अजरबैजान पर अपने एक सैनिकों को सीमा पर गोली से मारने का आरोप लगाया था। वहीं अगस्त महीने में अजरबैजान ने कहा था कि उसने अपना एक सैनिक खो दिया है। जबकि काराबाख की सेना ने कहा था कि उसके दो सैनिक मारे गए हैं और एक दर्जन से ज्यादा घायल हुए हैं।  

2020 में 6500 से अधिक की गई थी जान

आर्मीनिया और अजरबैजान ने नागोर्नो काराबाख क्षेत्र की वजह से अब तक दो युद्ध लड़े हैं। एक 1990 के दशक में और एक साल 2020 में। यह अजरबैजान के नियंत्रण में है, जहां आर्मीनियाई मूल के लोग रहते हैं। इनके बीच 2020 में छह हफ्ते तक लड़ाई चली थी, जिसमें 6500 से अधिक मौत हुई थीं। बाद में फिर रूस ने हस्तक्षेप कर दोनों के बीच संघर्ष विराम समझौता करवाया था। इस समझौते के तहत आर्मीनिया को बड़े स्तर पर अपना वो क्षेत्र देना पड़ा, जिसपर वह दशकों से नियंत्रण कर रहा था और रूस ने संघर्ष विराम की निगरानी के लिए 2000 शांतिरक्षकों को भेजा था। मई और अप्रैल में ईयू की मध्यस्थता वाली बातचीत में अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलियेव और आर्मीनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिनयान भविष्य की शांति संधि को लेकर आगे चर्चा करने को सहमत हो गए थे।    

साल 1991 में जब सोवियत संघ का विघटन हुआ, तब नागोर्नो काराबाख में रहने वाले आर्मीनियाई अलगाववादी अजरबैजान से अलग हो गए थे। संघर्ष में करीब 30,000 लोगों की मौत हुई थी। 

आखिर क्यों लड़ रहे हैं आर्मीनिया और अजरबैजान?

आर्मीनिया और अजरबैजान की सीमाओं के बीच लगभग 4400 वर्ग किलोमीटर का एक क्षेत्र है, जिसे नागोर्नो काराबाख कहा जाता है। नोगोर्नो काराबाख के क्षेत्र पर दोनों देश अपना हक जमाते हैं और इसी पर कब्जे के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। आर्मीनिया एक इसाई बहुल देश है और नोगोर्नो काराबाख की अधिकतर आबादी भी इसाई बहुल ही है। जबकि अजरबैजान मुस्लिम बहुल देश है।

कुछ देश आर्मीनिया तो कुछ अजरबैजान को करते हैं समर्थन

दुनिया के अधिकतर देश आर्मीनिया और अजरबैजान से शांति की अपील करते आए हैं लेकिन कुछ देश आर्मीनिया तो कुछ अजरबैजान को समर्थन देते हैं। अजरबैजान का समर्थन करने वाले देशों में सबसे अहम नाटो सदस्य तुर्की है। दरअसल तुर्की और अजरबैजान के रिश्ते बहुत मजबूत हैं। नार्गोनो-करबाख के मुद्दे पर तुर्की हमेशा से अजरबैजान का समर्थन करता आया है। नार्गोनो करबाख क्षेत्र को लेकर आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच की लड़ाई में तुर्की ने अजरबैजान को समर्थन किया है और कई बार वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अजरबैजान का समर्थन कर चुका है।

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