मालदीव के राष्ट्रपति चुनाव में बड़ा उलट-फेर हुआ है। इस चुनाव में चीन समर्थक मोहम्मद मुइज को जीत मिली है। भारत के लिए यह खबर अच्छी नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार इससे भारत-मालदीव के संबंध खराब होने की आशंका है। मालदीव की सरकार बदलने से हिंद महासागर और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत के हितों के प्रभावित होने की आशंका बनी है। मो. मुइज भारत विरोधी बयानों और गतिविधियों के लिए जाने जाते हैं। मगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मालदीव का राष्ट्रपति निर्वाचित होने पर मोहम्मद मुइज को रविवार को बधाई दी है।
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, ‘‘भारत समय की कसौटी पर खरे उतरे भारत-मालदीव के द्विपक्षीय संबंध को मजबूत करने और हिंद महासागर क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।’’ बता दें कि मोहम्मद मुइज ने मालदीव के राष्ट्रपति पद के चुनाव में निवर्तमान राष्ट्रपति मोहम्मद सोलिह को हराया है। सोलिह भारत के प्रबल समर्थक और चीन के विरोधी थे। मगर इस चुनाव में मुइज के जीतने से चीन को ताकत मिली है। वहीं भारत के हाथ निराशा लगी है। अब देखना होगा कि मुइज की जीत का भारत-मालदीव संबंधों पर क्या कुप्रभाव पड़ता है।
चीन चाहता है मालदीव पर दबदबा
चीन मालदीव पर दबदबा बनाए रखने के लिए मो. मुइज को सपोर्ट कर रहा था। मगर भारत का हित मोहम्मद सोलिह की जीत में था। अब मुइज के जीतने से भारत-मालदीव के संबंधों में तनाव आ सकता है। हालाांकि पीएम मोदी ने मुइज को बधाई देकर भविष्य में भी दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध बनाए रखने का संकेत दे दिया है। मालदीव के राष्ट्रपति चुनाव में मुइज को 53 फीसदी वोट मिले हैं। मुइज अभी तक मालदीव की राजधानी माले शहर के मेयर हैं। उन्होंने मौजूदा राष्ट्रपति और प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम) के उम्मीदवार और भारत समर्थक माने जाने वाले मोहम्मद सोलिह को हरा दिया है।
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