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मिस्र में खुदाई के दौरान मिली बुद्ध की प्राचीन प्रतिमा, भारत को लेकर खुले कई बड़े राज

बुद्ध की यह प्राचीन प्रतिमा 71 सेंटीमीटर की है, जिसके चारों ओर आभामंडल है। साथ ही उसके पास में एक कमल का फूल बना हुआ दिखाई दे रहा है।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published on: April 29, 2023 18:48 IST
मिस्र में खुदाई के दौरान मिली बुद्ध की प्राचीन प्रतिमा, भारत को लेकर खुले कई बड़े राज- India TV Hindi
Image Source : TWITTER मिस्र में खुदाई के दौरान मिली बुद्ध की प्राचीन प्रतिमा, भारत को लेकर खुले कई बड़े राज

Egypt: प्राचीन देश मिस्र में एक मंदिर की खुदाई के दौरान भगवान बुद्ध की प्राचीन मूर्ति मिली है। बुद्ध की यह मूर्ति दूसरी शताब्दी की बताई जा रही है। इस बड़ी खोज से यह माना जा रहा है कि भारत और रोमन साम्राज्य के बीच कारोबारी संबंध थे। बुद्ध की यह प्राचीन प्रतिमा 71 सेंटीमीटर की है, जिसके चारों ओर आभामंडल है। साथ ही उसके पास में एक कमल का फूल बना हुआ दिखाई दे रहा है। 

मिस्र में रेड-सी के समीप बेर्निस के प्राचीन पोर्ट से भगवान बुद्ध की  मिली मूर्ति दर्शाती है कि उस समय भारत कितना समृद्ध था और भारत के व्यापारिक संबंध उत्तरी अफ्रीकी देशों तक हुआ करते थे। साथ ही यह इस बात का भी संकेत है कि भारत के बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार दक्षिण और पूर्व एशिया के साथ ही पश्चिमी में अफ्रीकी देश मिस्र तक था।

मूर्ति से मिलते हैं भारत और रोमन सामा्रज्य के कारोबारी संबंध के संकेत

एक रिपोर्ट के मुताबिक मिस्र के पुरावशेष मंत्रालय के एक बयान में बुधवार को कहा गया कि एक पोलिशअमेरिकी मिशन ने ‘बेर्निस में प्राचीन मंदिर में खुदाई के दौरान रोमन काल की मूर्ति‘ की खोज की। मिस्र की सर्वोच्च पुरावशेष परिषद के प्रमुख मुस्तफा अल वजीरी ने बताया कि इस खोज से रोमन युग के दौरान मिस्र और भारत के बीच व्यापार संबंधों की मौजूदगी के महत्वपूर्ण संकेत मिले हैं।

71 सेंटीमीटर की है मूर्ति की ऊंचाई

 प्रतिमा, जिसके दाहिने हिस्से का हिस्सा और उसका दाहिना पैर गायब है, यह ऊंचाई में 71 सेमी है। वजीरी ने कहा कि बेरेनिस रोमन युग के मिस्र में सबसे बड़े बंदरगाहों में से एक था। और अक्सर मसालों, अर्ध-कीमती पत्थरों, वस्त्रों और हाथी दांत से लदे भारत के जहाजों के लिए गंतव्य था।

संस्कृत में लिखा शिलालेख भी मिला

खुदाई के दौरान पुरातत्ववेक्ताओं ने इस बात का भी खुलासा किया कि रोमन समा्रट मार्कस जूलियस फिलिपस ‘244 से 249 ईसवी‘ के समय का एक शिलालेख भी मिला है। जो कि संस्कृत भाषा में है। दरअसल, मिस्र कोरोना के बाद अपने पर्यटन को पुनर्जीवित करने में लगा है। क्योंकि मिस्र के पर्यटन को कोरोना ने काफी क्षति पहुंचाई है। 

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