नई दिल्लीः बांग्लादेश में जारी भीषण हिंसा और आगजनी के बीच भारतीय लोग उपद्रियों के निशाने पर हैं। हिंदुओं और मंदिरों पर सबसे ज्यादा हमले हो रहे हैं। ऐसे में भारतीय उच्चायोग भी सुरक्षित नहीं रह गया है। ऐसे में उच्चायोग के कर्मचारी कैसे काम कर रहे हैं, वह कैसे बांग्लादेश में बसे भारतीयों की मदद कर रहे हैं और भारतीय कांसुलेट किस तरह ऐसी विपरीत परिस्थितियों में काम कर रहे हैं, यह जानना भी बेहद जरूरी है। आपको बता दें कि राजधानी ढाका में स्थित भारतीय उच्चायोग में गैर-जरूरी सेवाओं में कार्यरत कर्मी और उनके परिवार के सदस्य स्वेच्छा से बुधवार को भारत लौट आए। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन सभी को अपनी असुरक्षा का खतरा लगातार बना हुआ था।
सूत्रों ने बताया कि हालांकि, उच्चायोग में जरूरी सेवाओं में कार्यरत सभी भारतीय राजनयिक ढाका से अब भी विपरीत परिस्थितियों में काम कर रहे हैं और वह लगातार भारतीयों की मदद कर रहे हैं। आज 205 भारतीयों को लेकर पहली फ्लाइट ढाका से नई दिल्ली पहुंचाने में भी भारतीय उच्चायोग की रोल सबसे महत्वपूर्ण रहा है। भारतीय उच्चायोग अभी काम कर रहा है। मगर इतना जरूर है कि बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में हिंसा जारी रहने के बीच गैर-जरूरी सेवाओं में काम कर रहे कर्मी विमान से स्वदेश लौटे। शेख हसीना ने सोमवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और वह सरकार विरोधी अभूतपूर्व प्रदर्शनों के बाद ढाका से दिल्ली के पास स्थित हिंडन वायु प्रतिष्ठान पहुंची थीं।
अन्य कर्मचारी भी जल्द लौटेंगे देश
ऐसी जानकारी है कि बांग्लादेश में अन्य भारतीय मिशन में गैर-जरूरी सेवाओं में कार्यरत कर्मी भी भारत लौट सकते हैं, क्योंकि वह बेहद जटिल परिस्थितियों में फंसे हुए हैं। ढाका में उच्चायोग के अलावा भारत के चटगांव, राजशाही, खुलना और सिलहट में सहायक उच्चायोग हैं। बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने मंगलवार को संसद भंग कर दी और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया।
राष्ट्रपति के प्रेस सचिव मोहम्मद जैनुल आब्दीन ने बताया कि यह निर्णय राष्ट्रपति शहाबुद्दीन और छात्र आंदोलन के 13 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के बीच बंगभवन (राष्ट्रपति आवास) में हुई बैठक में किया गया। उन्होंने कहा कि अंतरिम सरकार के अन्य सदस्यों के नाम विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श के बाद तय किए जाएंगे। (भाषा)