ढाका: बांग्लादेश में कई दिनों से जारी हिंसा के बीच बड़ी खबर सामने आ रही है। जिस आरक्षण के विरोध में बांग्लादेश कई दिनों से जल रहा है और जिस आरक्षण को लेकर छात्रों ने सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ रखा है, उस पर देश की शीर्ष अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाकर प्रधानमंत्री शेख हसीना को सबसे बड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने देश में आरक्षण को लेकर मचे बवाल के बीच सरकारी नौकरियों में रविवार को आरक्षण घटा दिया। इससे छात्रों की मौज हो गई। वहीं इसे सरकार के लिए बड़ी हार के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि सरकार आरक्षण पर अपने फैसले को वापस लेने के लिए कतई तैयार नहीं थी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आंदोलनकारी छात्रों से वापस क्लास में लौटने की अपील भी की है।
उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि 93 प्रतिशत सरकारी नौकरियां योग्यता आधारित प्रणाली के आधार पर आवंटित की जाएं और शेष सात प्रतिशत 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में लड़ने वालों के रिश्तेदारों तथा अन्य श्रेणियों के लिए छोड़ी जाएं। पहले युद्ध लड़ने वालों के रिश्तेदारों के लिए नौकरियों में 30 प्रतिशत तक आरक्षण था। मगर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के फैसले को खारिज कर दिया है। इसे छात्रों के लिए बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है।
क्यों हो रहा आंदोलन
बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था में सुधार की मांग को लेकर कई दिन से प्रदर्शन हो रहे थे और हालात बिगड़ने पर शनिवार को पूरे देश में कठोर कर्फ्यू लगा दिया गया। सैन्य बलों ने राष्ट्रीय राजधानी ढाका के विभिन्न हिस्सों में गश्त की। बांग्लादेशी अधिकारियों ने मृतकों और घायलों की कोई आधिकारिक संख्या साझा नहीं की है लेकिन समाचार दैनिक ‘प्रोथोम अलो’ में शनिवार को प्रकाशित एक खबर में बताया गया कि अब तक कम से कम 105 लोग मारे गए हैं। (एपी)
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