अमेरिका के दो प्रभावशाली डेमोक्रेटिक सांसदों ने पाकिस्तान से यूक्रेन में रूस के चल रहे सैन्य अभियानों की निंदा करने का आग्रह करते हुए कहा है कि वे संयुक्त राष्ट्र महासभा में दो मार्च को हुए मतदान से दूर रहने के इस्लामाबाद के फैसले और प्रधानमंत्री इमरान खान की पहली मॉस्को यात्रा से निराश हैं। अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत मजीद खान को बुधवार को लिखे एक पत्र में, सांसद टेड डब्ल्यू ल्यू और टॉम मालिनोव्स्की ने कहा कि प्रधानमंत्री खान का फरवरी में मॉस्को की यात्रा का निर्णय यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता की पुष्टि करने और रूस को हमलावर करार देने के अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों के विपरीत है।
आखिरी समय में पश्चिमी देशों के अनुरोधों व चेतावनी की अनदेखी करते हुए खान 23 फरवरी को दो दिवसीय यात्रा पर मॉस्को पहुंचे थे, जो बीते दो दशकों में किसी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की पहली मॉस्को यात्रा थी। इसके कुछ ही घंटों बाद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन में विशेष सैन्य अभियान का आदेश दिया था। यूक्रेन के खिलाफ विशेष सैन्य अभियान का आदेश देने के बाद खान की पुतिन के साथ 24 मार्च को हुई मुलाकात किसी विदेशी नेता के साथ रूसी राष्ट्रपति की पहली आमने-सामने की बातचीत थी।
अपने पत्र में अमेरिकी सांसदों ने कहा कि ऐसे समय में, जब दुनिया यूक्रेन के समर्थन में एकजुट हो रही थी, तब मॉस्को की अपनी यात्रा के साथ आगे बढ़ने का खान का निर्णय यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता की पुष्टि करने के लिए, और रूस को हमलावर बुलाए जाने के अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों के विपरीत था। उन्होंने कहा, 'हम आपकी सरकार के दो मार्च को संयुक्त राष्ट्र महासभा में हुए मतदान से दूर रहने के निर्णय से निराश हैं। हमें इस बात की भी निराशा है कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौतों की घोषणा की।'
इसी महीने दो मार्च को 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपनी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर यूक्रेन की संप्रभुता, स्वतंत्रता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के लिए मतदान किया और यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता की “कठोरतम शब्दों में निंदा” की। इस प्रस्ताव के पक्ष में 141 मत पड़े, पांच सदस्यों ने इसके विरोध में मतदान किया जबकि 35 सदस्य मतदान से दूर रहे।
पाकिस्तान, भारत और चीन उन 35 देशों में शामिल हैं, जिन्होंने प्रस्ताव पर मतदान से परहेज किया। रूस के साथ पाकिस्तान के संबंध हाल के वर्षों में कड़वे शीत युद्ध की शत्रुता से आगे निकल गए हैं और पाकिस्तान और अमेरिका के बीच संबंधों में जमी बर्फ ने उसको रूस और चीन के करीब कर दिया है।