चीन और अमेरिका में एक बार फिर ठन गई है। वजह वही पुराना मसला है...यानि ताइवान का तनाव। अक्सर अपने लड़ाकू जेटों और बमवर्षक विमानों से ताइवान को डराने का प्रयास करने वाले चीन को अमेरिका ने ऐसा झटका दिया है कि उसका दिमाग दुरुस्त हो गया है। अब चीन अमेरिका के कृत्यों से बौखला गया है और उसे चेतावनी तक दे डाली है। मगर अमेरिका को चीन की किसी गीदड़भभकी की कोई चिंता नहीं है। अमेरिका ने वही करने जा रहा है जो उसे करना है। लिहाजा अमेरिका और चीन फिर ताइवान के मुद्दे को लेकर आमने-सामने आ गए हैं।
दरअसल चीन को जलाने के अमेरिका ने ताइवान के साथ एक अहम और महत्वपूर्ण व्यापार समझौता करने वाला है। इससे चीन तिलमिला उठा है। चीन ने ताइवान के साथ इस व्यापार संधि पर हस्ताक्षर करने की अमेरिका की कड़ी आलोचना की है। चीन ने बृहस्पतिवार को उससे स्वशासित द्वीप के साथ आधिकारिक संपर्क बंद करने तक की बात कह डाली है। बता दें कि चीन इस स्वशासित द्वीप को अपना हिस्सा बता उस पर दावा करता है। जबकि अमेरिका चीन के इस दावे को खारिज कर ताइवान का समर्थन करता है। लिहाजा व्यापार पर हस्ताक्षर होने से पहले चीन ने उच्च तकनीक उद्योग के लिए एक वैश्विक केंद्र इस द्वीप के पास लड़ाकू जेट विमानों और बमवर्षकों को उड़ाकर ताइवान को डराने में जुट गया है।
अमेरिका समझौते पर अडिग
इस द्वीप पर फाइटर जेट और बमवर्षक उड़ाकर चीन यह दबाव बना रहा है कि ताइवान डर जाए और वह समझौते से पीछे हट जाए। मगर ताइवान को अमेरिका की सह प्राप्त है। ऐसे में ताइवान के हौसले बुलंद हैं। अब चीन की इस गीदड़भभकी के बीच बृहस्पतिवार को समझौते पर हस्ताक्षर किया जाना है। अमेरिकी और यूरोपीय राजनेताओं ने ताइवान में चुनी हुई सरकार के समर्थन में वहां का दौरा किया है। चीनी विदेश मंत्रालय ने वाशिंगटन पर ताइवान की स्थिति पर समझौतों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया, जो 1949 में गृहयुद्ध के बाद मुख्य भूमि से अलग हो गया था।
चीन दे रहा अमेरिका को धमकी
चीन ने धमकी दी है कि अगर ताइवान औपचारिक स्वतंत्रता की घोषणा करता है या एकीकरण पर बातचीत में देरी करता है तो वह हमला करेगा। अमेरिकी और ताइवान के अधिकारियों का कहना है कि 21वीं सदी के व्यापार पर अमेरिका-ताइवान की पहल सीमा शुल्क, निवेश और अन्य नियमों को सरल बनाकर व्यापार को बढ़ाएगी। बता दें कि अमेरिका के ताइवान के साथ कोई आधिकारिक संबंध नहीं हैं, लेकिन व्यापक अनौपचारिक संबंध और अरबों डॉलर का वार्षिक कारोबार है।
मंत्रालय के एक प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, “अमेरिका को ताइवान के साथ किसी भी प्रकार के आधिकारिक आदान-प्रदान को रोकना चाहिए, ताइवान के साथ ऐसे समझौतों पर बातचीत करने से बचना चाहिए जिनका संप्रभु अर्थ या आधिकारिक प्रकृति है और ताइवान की स्वतंत्रता की अलगाववादी ताकतों को गलत संकेत भेजने से भी बचना चाहिए।”